कवर्धा में बवाल: एथेनॉल प्लांट पर किसानों का हल्लाबोल, अमानक पोटाश खाद बनी वजह, तालाबंदी की कोशिश
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में एक एथेनॉल प्लांट के बाहर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसानों ने प्लांट में तालाबंदी करने का प्रयास किया। आरोप है कि प्लांट से जुड़ी एक सहायक कंपनी द्वारा निर्मित पोटाश खाद सरकारी जांच में अमानक पाई गई है, जबकि करोड़ों की खाद किसानों को बेची जा चुकी है।एथेनॉल प्लांट पर किसानों का हल्लाबोल
क्या है पूरा मामला: अमानक पोटाश खाद का जंजाल
कवर्धा में संचालित एथेनॉल कंपनी की एक सहायक फर्म, एनकेजे, पोटाश खाद का उत्पादन करती है। यह खाद जिले के किसानों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी सप्लाई की जाती है। किसान इस खाद का उपयोग अपनी खेती-बाड़ी में करते हैं। हाल ही में, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा करवाई गई एक लैब जांच में एनकेजे कंपनी द्वारा निर्मित पोटाश खाद को तय मानकों पर खरा नहीं पाया गया, यानी यह अमानक (Substandard) है।एथेनॉल प्लांट पर किसानों का हल्लाबोल
चिंताजनक बात यह है कि कंपनी पहले ही करोड़ों रुपये मूल्य की यह अमानक खाद सोसाइटियों के माध्यम से किसानों को बेच चुकी है। कई किसान इस खाद का उठाव कर चुके हैं और कुछ ने तो इसे अपने खेतों में डाल भी दिया है। खाद के अमानक होने की जानकारी मिलने के बाद किसानों में भारी रोष व्याप्त है।एथेनॉल प्लांट पर किसानों का हल्लाबोल
किसानों का उग्र प्रदर्शन और तालाबंदी की कोशिश
इस खुलासे के बाद भारतीय किसान संघ (भाकिसं) ने कवर्धा स्थित एथेनॉल कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। संघ के सदस्य और पीड़ित किसान हाथों में ताला और जंजीर लेकर प्लांट पहुंचे और मुख्य द्वार पर तालाबंदी करने का प्रयास किया। किसानों ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे।एथेनॉल प्लांट पर किसानों का हल्लाबोल
किसानों की प्रमुख मांगें
प्रदर्शन कर रहे किसानों की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
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पैसे की वापसी: जिन किसानों ने अमानक पोटाश खाद खरीदी है, उन्हें उनकी पूरी राशि तत्काल वापस की जाए।
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कंपनी पर कार्रवाई: दोषी कंपनी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कंपनी को बंद किया जाए।
आगे क्या?
किसानों का यह प्रदर्शन उनकी जायज चिंताओं को दर्शाता है। अमानक खाद न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उनकी फसलों की उपज और मिट्टी की उर्वरता पर भी बुरा असर डाल सकती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और किसानों को कब तक न्याय मिल पाता है।