रायपुर में 1.65 करोड़ का सिकलसेल घोटाला: जांच में दोषी, फिर भी बिना कार्रवाई के रिटायर हुआ अफसर, सिस्टम पर उठे सवाल
रायपुर में 1.65 करोड़ का सिकलसेल घोटाला, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से जुड़े सिकलसेल संस्थान में हुए 1.65 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला एक बार फिर गरमा गया है। पांच साल पहले जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद, मुख्य आरोपी अफसर बिना किसी कार्रवाई का सामना किए हाल ही में रिटायर हो गए। इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग और शासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला: स्क्रीनिंग के फंड से सजाया गार्डन और ऑफिस
यह घोटाला 2017 से 2021 के बीच का है। सिकलसेल संस्थान को बच्चों और लोगों में सिकलसेल बीमारी की जांच (स्क्रीनिंग) के लिए फंड आवंटित किया गया था। लेकिन, अधिकारियों ने इस फंड का दुरुपयोग किया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान मरीजों की स्क्रीनिंग का काम पूरी तरह से बंद रहा और पैसों को दूसरे कामों में खर्च कर दिया गया:
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11.31 लाख रुपये: फर्नीचर और कंप्यूटर खरीदने में।
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4.69 लाख रुपये: गार्डन को संवारने और वॉल पेंटिंग पर।
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2.76 लाख रुपये: बिल्डिंग के रखरखाव पर।
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13 लाख रुपये से अधिक: नियमों के खिलाफ लैब सामग्री और दवाओं की खरीदी में।
आरोप है कि मरीजों के लिए आए 1.65 करोड़ रुपये के फंड को अधिकारियों ने निजी सुविधाओं और गैर-जरूरी कामों में लगाकर घोटाले को अंजाम दिया।
जांच कमेटी ने माना दोषी, फिर भी फाइल दबी रही
मामला सामने आने के बाद शासन के निर्देश पर 2020 में एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी में तत्कालीन डीन डॉ. विष्णु दत्त, आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनीत जैन और वित्त विभाग की जेडी सुषमा ठाकुर शामिल थीं। कमेटी ने अपनी जांच में संस्थान के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल समेत कई कर्मचारियों को घोटाले का दोषी पाया था। डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (DME) ने जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन को पत्र लिखकर दोषियों पर कार्रवाई की सिफारिश भी की, लेकिन फाइल मंत्रालय में सालों तक अटकी रही।रायपुर में 1.65 करोड़ का सिकलसेल घोटाला
छोटे कर्मचारियों पर गिरी गाज, बड़े अफसर को मिला ‘सेफ एग्जिट’?
हैरानी की बात यह है कि इस घोटाले में शासन ने तीन छोटे कर्मचारियों को तो सस्पेंड कर दिया था, जो बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर बहाल भी हो गए। लेकिन, घोटाले के मुख्य आरोपी माने जा रहे डायरेक्टर जनरल के खिलाफ कोई भी अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई। पिछले साल मीडिया में खबर आने के बाद शासन ने खानापूर्ति के लिए आरोप पत्र जारी करने के निर्देश तो दिए, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में ही रहा। अब, 6 दिन पहले मुख्य आरोपी अफसर बिना किसी सजा के सम्मानपूर्वक रिटायर हो चुके हैं।रायपुर में 1.65 करोड़ का सिकलसेल घोटाला
सिस्टम पर बड़े सवाल: आखिर कौन बचा रहा था आरोपी को?
यह मामला सिस्टम की बड़ी खामी को उजागर करता है। एक तरफ जहां कोरोना काल में हुए एक अन्य खरीदी घोटाले में शासन ने एक एडिशनल डायरेक्टर को तुरंत सस्पेंड कर दिया था, वहीं सिकलसेल घोटाले के दोषी अफसर पर पांच साल तक कोई कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है। आखिर वो कौन लोग थे जो जांच में दोषी पाए गए एक बड़े अफसर को बचा रहे थे और उसे बिना सजा के रिटायर होने का मौका दिया?रायपुर में 1.65 करोड़ का सिकलसेल घोटाला