जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवा के नाम पर बड़ा खेल! जांच में ब्रांडेड दवाएं मिलने पर 57 केंद्र बंद

भोपाल, मध्य प्रदेश। जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवा के नाम पर बड़ा खेल! जांच में ब्रांडेड दवाएं मिलने पर 57 केंद्र बंद, मध्य प्रदेश में गरीबों और आम नागरिकों को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से खोले गए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र अब खुद ही नियमों को ताक पर रखकर महंगी ब्रांडेड दवाओं की बिक्री के अड्डे बन गए हैं। एक हालिया जांच में इस बात का पर्दाफाश हुआ है, जिसके बाद सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए 57 जन औषधि केंद्रों पर ताला लगा दिया है।
यह सनसनीखेज जानकारी राज्य के उपमुख्यमंत्री (स्वास्थ्य मंत्री) राजेंद्र शुक्ल ने विधानसभा में विधायक अजय सिंह द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दी। उन्होंने बताया कि इन केंद्रों का उद्देश्य सस्ती जेनरिक दवाएं बेचना है, लेकिन ये संचालक निजी कंपनियों की महंगी दवाएं बेचकर मुनाफाखोरी कर रहे थे।जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवा के नाम पर बड़ा खेल!
विभागीय जांच में सामने आईं चौंकाने वाली गड़बड़ियां
खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा वर्ष 2024-25 में की गई जांच में कुल 67 जन औषधि केंद्रों पर गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। इन केंद्रों पर न केवल ब्रांडेड दवाएं बेची जा रही थीं, बल्कि वे सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली जेनरिक दवाओं की खरीदी भी नहीं कर रहे थे। जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवा के नाम पर बड़ा खेल! जांच में मिली मुख्य गड़बड़ियां इस प्रकार हैं:
ब्रांडेड दवाओं की बिक्री: केंद्रों पर जन औषधि की दवाओं के बजाय निजी ब्रांड की महंगी दवाएं बेची जा रही थीं।
रिकॉर्ड में हेरफेर: दवाओं के क्रय-विक्रय का कोई सही रिकॉर्ड, बिल बुक या कैश मेमो नहीं मिला।
शेड्यूल H-1 दवाओं का उल्लंघन: डॉक्टर के पर्चे पर ही दी जाने वाली शेड्यूल H-1 दवाओं के लिए कोई रजिस्टर नहीं बनाया गया था।
नारकोटिक्स की मौजूदगी: कुछ केंद्रों पर नारकोटिक्स दवाएं तो मिलीं, लेकिन उनकी बिक्री का कोई हिसाब-किताब नहीं था।
एक्सपायरी दवाएं: कई केंद्रों पर एक्सपायर हो चुकी दवाएं भी बिक्री के लिए रखी गई दवाओं के साथ पाई गईं, जो मरीजों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है।
सरकार ने की सख्त कार्रवाई
जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। जिन 67 केंद्रों पर गड़बड़ी पाई गई थी, उनमें से 57 को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। चार केंद्रों के दवा बिक्री लाइसेंस 5 से 10 दिनों के लिए निलंबित किए गए हैं। इसके अलावा, अन्य दोषी केंद्रों को नोटिस जारी कर उनकी प्रोत्साहन राशि रोक दी गई है।जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवा के नाम पर बड़ा खेल!
क्या है जन औषधि केंद्रों का उद्देश्य?
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJK) की शुरुआत देश के आम नागरिकों, विशेषकर गरीबों को उच्च गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाएं सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए की गई थी। इन केंद्रों पर दवाएं बाजार मूल्य से 50 से 80 प्रतिशत तक सस्ती मिलती हैं। मध्य प्रदेश में वर्तमान में 500 से अधिक जन औषधि केंद्र संचालित हैं और सरकार जिला अस्पतालों तथा पैक्स (PACS) के माध्यम से इनकी संख्या लगातार बढ़ा रही है। लेकिन इस तरह की धांधली इस महत्वपूर्ण योजना के उद्देश्य पर ही सवाल खड़े कर रही है।जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवा के नाम पर बड़ा खेल!









