बीजापुर: बीजापुर में हुए धमाके ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 60 किलो का आईईडी बम सड़क के 5-6 फीट नीचे दबा था, जिसे जवान डिटेक्ट नहीं कर पाए। आइए जानते हैं, इतनी बड़ी चूक की वजह क्या रही और जवानों के सामने क्या चुनौतियां थीं। बीजापुर धमाके में 60 किलो आईईडी का खुलासा: बम डिटेक्शन में चूक क्यों?
बम डिटेक्शन में चूक की वजह क्या रही?
- मशीन की सीमित क्षमता:
- जवान मोबाइलट्रेस® हैंडहेल्ड ट्रेस डिटेक्टर का इस्तेमाल करते हैं।
- यह डिवाइस केवल 2 फीट तक जमीन के अंदर छिपे आईईडी बम को डिटेक्ट कर सकती है।
- नक्सलियों ने बम को 5-6 फीट गहराई में छिपाया, जिससे मशीन इसे पहचानने में असमर्थ रही।
- नक्सलियों की रणनीति:
- नक्सलियों ने बम को गहराई में दबाने के साथ सुरंग खोदकर बम लगाने की तकनीक अपनाई।
- उनकी यह रणनीति सुरक्षाबलों को चकमा देने के लिए बनाई गई थी। बीजापुर धमाके में 60 किलो आईईडी का खुलासा: बम डिटेक्शन में चूक क्यों?
डीआरजी जवान: नक्सलियों के सबसे बड़े दुश्मन
- डीआरजी की ताकत:
- डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त जवान शामिल होते हैं।
- ये जवान बस्तर और आसपास के इलाकों से आते हैं, स्थानीय भाषा और संस्कृति से अच्छी तरह परिचित होते हैं।
- मुखबिर नेटवर्क:
- डीआरजी जवानों का स्थानीय लोगों और मुखबिरों के साथ मजबूत संपर्क है, जिससे नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सफलता मिलती है।
- नक्सलियों के लिए खतरा:
- डीआरजी जवानों के कुशल अभियान और स्थानीय संपर्क नक्सलियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। बीजापुर धमाके में 60 किलो आईईडी का खुलासा: बम डिटेक्शन में चूक क्यों?
भविष्य के लिए सबक
- मशीनों की अपग्रेडेशन:
- बम डिटेक्टर की क्षमता बढ़ाने के लिए नई तकनीक और उन्नत मशीनों की आवश्यकता है।
- सतर्कता बढ़ाना:
- आरओपी में तैनात जवानों को अतिरिक्त सतर्कता और नई रणनीति अपनाने की जरूरत है।
- स्थानीय लोगों की भागीदारी:
- स्थानीय समुदायों के साथ अधिक जुड़ाव और सूचना नेटवर्क को मजबूत करना होगा। बीजापुर धमाके में 60 किलो आईईडी का खुलासा: बम डिटेक्शन में चूक क्यों?