बस्तर

अबूझमाड़ का दर्द: गल रहा 7 साल के मासूम का शरीर, अंधविश्वास में उलझा परिवार, मंत्री तक पहुंची गुहार

अबूझमाड़ का दर्द: गल रहा 7 साल के मासूम का शरीर, अंधविश्वास में उलझा परिवार, मंत्री तक पहुंची गुहार

अबूझमाड़ का दर्द: गल रहा 7 साल के मासूम का शरीर, अंधविश्वास में उलझा परिवार, छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के घने जंगलों में एक 7 साल का मासूम संजय वड्दा पिछले एक साल से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है। एक अज्ञात बीमारी धीरे-धीरे उसके शरीर को खत्म कर रही है, लेकिन आधुनिक इलाज की जगह उसका परिवार अंधविश्वास की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। यह दर्दनाक कहानी अबूझमाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत और सांस्कृतिक चुनौतियों को बयां करती है।

WhatsApp Group Join Now
Facebook Page Follow Now
YouTube Channel Subscribe Now
Telegram Group Follow Now
Instagram Follow Now
Dailyhunt Join Now
Google News Follow Us!

अंधविश्वास का अंधेरा: क्यों झाड़-फूंक के भरोसे है संजय?

नारायणपुर जिले के सुदूर परपा गांव का रहने वाला संजय गंभीर पीड़ा में है, लेकिन उसका इलाज डॉक्टर नहीं, बल्कि सिरहा-गुनिया (पारंपरिक झाड़-फूंक करने वाले) कर रहे हैं।अबूझमाड़ का दर्द: गल रहा 7 साल के मासूम का शरीर, अंधविश्वास में उलझा परिवार

  • ‘माता लगना’ का अंधविश्वास: संजय का परिवार उसकी बीमारी को ‘माता लगना’ (दैवीय प्रकोप) मान रहा है। इसी वजह से वे उसे अस्पताल ले जाने से इनकार कर रहे हैं।

  • सिस्टम की नाकामी: हैरान करने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले को संजय की हालत के बारे में छह महीने पहले ही पता चल गया था। इसके बावजूद, वे परिवार को इलाज के लिए मनाने में नाकाम रहे।

  • बिगड़ती हालत: उचित इलाज न मिलने के कारण संजय की हालत लगातार बिगड़ रही है। उसका शरीर गल रहा है और वह हर पल दर्द से कराह रहा है।

भाषा और भरोसे की खाई: क्यों दूर हैं सरकारी सुविधाएं?

यह मामला सिर्फ एक बच्चे की बीमारी का नहीं, बल्कि सिस्टम और समाज के बीच संवाद की गहरी खाई का भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग की विफलता के पीछे कई बड़े कारण हैं:

  • संवाद की कमी: स्वास्थ्यकर्मी स्थानीय गोंडी भाषा में परिवार से संवाद स्थापित नहीं कर पाए, जिससे वे उनका भरोसा नहीं जीत सके।

  • सांस्कृतिक बाधा: स्थानीय मान्यताओं और सांस्कृतिक विश्वासों को समझे बिना दी गई सलाह को परिवार ने सिरे से खारिज कर दिया। एक बार इनकार सुनने के बाद स्वास्थ्य अमले ने दोबारा ठोस प्रयास नहीं किए।

मीडिया में मामला आने के बाद जगी उम्मीद, मंत्री ने दिया आश्वासन

जब यह गंभीर मामला मीडिया के जरिए सामने आया, तो प्रशासन में हलचल हुई। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के नारायणपुर दौरे के दौरान यह मुद्दा उठाया गया, जिसके बाद उन्होंने तत्काल संज्ञान लिया।अबूझमाड़ का दर्द: गल रहा 7 साल के मासूम का शरीर, अंधविश्वास में उलझा परिवार

  • मंत्री का वादा: स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन दिया है कि संजय को हर हाल में बेहतर इलाज मुहैया कराया जाएगा। यदि नारायणपुर में इलाज संभव नहीं हुआ, तो उसे विशेष इलाज के लिए रायपुर रेफर किया जाएगा।

एक संजय का सवाल, पूरे अबूझमाड़ का भविष्य

संजय की पीड़ा आज पूरे अबूझमाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। क्या प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सिर्फ योजनाओं तक सीमित रहेंगे या फिर सांस्कृतिक बाधाओं को समझते हुए संजय जैसे हजारों मासूमों तक पहुंचने का संवेदनशील रास्ता बनाएंगे? इस बच्चे की जान बचाने के लिए अब सिर्फ सक्रियता और संवाद की ही जरूरत है, ताकि अंधविश्वास के अंधेरे में किसी और मासूम की जिंदगी न चली जाए।अबूझमाड़ का दर्द: गल रहा 7 साल के मासूम का शरीर, अंधविश्वास में उलझा परिवार

Related Articles

WP Radio
WP Radio
OFFLINE LIVE
सैकड़ो वर्षो से पहाड़ की चोटी पर दिका मंदिर,51 शक्ति पीठो में है एक,जानिए डिटेल्स शार्ट सर्किट की वजह से फर्नीचर कंपनी के गोदाम में लगी आग महेश नवमी का माहेश्वरी समाज से क्या है संबंध? भारत ऑस्ट्रेलिया को हराकर टी20 वर्ल्ड कप से कर सकता है बाहर बिना कुछ पहने सड़को पर निकल गई उर्फी जावेद , देखकर बोले फैंस ये क्या छत्तीसगढ़ पुलिस कांस्टेबल शारीरिक दक्षता परीक्षा की तारीख घोषित, जानें पूरी डिटेल एक जुलाई से बदलने वाला है IPC, जाने क्या होने जा रहे है बदलाव WhatsApp या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नहीं दिया जा सकता धारा 41ए CrPC/धारा 35 BNSS नोटिस The 12 Best Superfoods for Older Adults Mother died with newborn case : महिला डॉक्टर समेत 2 नर्सों पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज