बिलासपुर

एजुकेशन हब पर नशे का साया, आश्वासन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान, छात्रों में बढ़ रही लत

एजुकेशन हब पर नशे का साया, आश्वासन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान, छात्रों में बढ़ रही लत

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मुख्य बिंदु:

  • बिलासपुर के कोनी एजुकेशन हब में शराब दुकान को लेकर बढ़ा विवाद।

  • विश्वविद्यालयों और छात्र संगठनों की मांग के बावजूद प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई।

  • सरकारी जमीन के बजाय निजी भवन में दुकान, हर महीने ₹40,000 का किराया।

  • स्थानीय लोगों और छात्रों ने दी आंदोलन की चेतावनी।

बिलासपुर: एजुकेशन हब पर नशे का साया, आश्वासन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान, छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर का कोनी क्षेत्र, जो गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय और दर्जनों शिक्षण संस्थानों की मौजूदगी के कारण “एजुकेशन हब” कहलाता है, इन दिनों शिक्षा नहीं बल्कि शराब की दुकान को लेकर चर्चा में है। शैक्षणिक संस्थानों के ठीक बगल में चल रही एक शराब दुकान ने छात्रों, अभिभावकों और विश्वविद्यालय प्रशासन की नींद उड़ा दी है।

क्या है पूरा विवाद?

कोनी क्षेत्र में, जहां हजारों छात्र अपना भविष्य गढ़ने आते हैं, आबकारी विभाग ने एक निजी भवन में शराब की दुकान खोल रखी है। इस दुकान की मौजूदगी से शैक्षणिक माहौल पर बुरा असर पड़ रहा है और छात्रों में नशे की लत बढ़ने की शिकायतें आम हो गई हैं। इस स्थिति से नाराज होकर पिछले महीने विश्वविद्यालय के कुलपतियों, छात्र संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने एकजुट होकर प्रशासन से इस दुकान को तत्काल हटाने की मांग की थी।एजुकेशन हब पर नशे का साया, आश्वासन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान

एक महीने से सिर्फ आश्वासन, कार्रवाई शून्य

विभिन्न संगठनों ने कलेक्टर, एसपी और सहायक आबकारी आयुक्त नवनीत तिवारी को ज्ञापन सौंपकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। तब सहायक आबकारी आयुक्त ने यह भरोसा दिलाया था कि दुकान को जल्द ही किसी और जगह पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। लेकिन इस आश्वासन को एक महीना बीत चुका है और नतीजा जस का तस है। न तो दुकान हटी और न ही उसके लिए कोई नई जगह तय हो पाई है।एजुकेशन हब पर नशे का साया, आश्वासन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान

इस बारे में पूछे जाने पर सहायक आबकारी आयुक्त नवनीत तिवारी का कहना है कि विभाग दुकान शिफ्ट करने के लिए जगह की तलाश कर रहा है, लेकिन जहां भी जगह देखी गई, वहां स्थानीय आपत्तियों के कारण स्थानांतरण नहीं हो सका।एजुकेशन हब पर नशे का साया, आश्वासन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान

सरकारी पैसे की बर्बादी और निजी लाभ?

मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब यह जानकारी सामने आई कि यह दुकान एक निजी भवन में चल रही है, जिसके लिए आबकारी विभाग हर महीने ₹40,000 का किराया सरकारी खजाने से चुका रहा है। हैरानी की बात यह है कि आस-पास कई सरकारी जमीनें खाली पड़ी हैं, लेकिन विभाग ने निजी व्यक्ति को फायदा पहुंचाना ज्यादा जरूरी समझा। इस फिजूलखर्ची और दुकान शिफ्ट करने में कोई रुचि न लेने से प्रशासन की मंशा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।एजुकेशन हब पर नशे का साया, आश्वासन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान

बढ़ता आक्रोश और आंदोलन की चेतावनी

प्रशासन की इस उदासीनता से स्थानीय लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। एक महीना बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई न होने पर अब छात्र संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। उनकी मांग है कि प्रशासन झूठे आश्वासन देना बंद करे और कोनी एजुकेशन हब से शराब दुकान को तत्काल हटाकर इस क्षेत्र को पूरी तरह से नशामुक्त घोषित करे, ताकि शिक्षा का माहौल खराब न हो।एजुकेशन हब पर नशे का साया, आश्वासन के बाद भी नहीं हटी शराब दुकान

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