रायगढ़ l छत्तीसगढ़ के घरघोड़ा नगर पंचायत का एक नया मामला सामने आया है, जिसमें भ्रष्टाचार की एक और कहानी उजागर हुई है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त दस्तावेजों से आवक-जावक पंजी में हुई अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। भाजपा पार्षद विजय शिशु सिन्हा द्वारा की गई इस जांच में नगर पंचायत के अधिकारियों की कारगुजारियां बेनकाब हुई हैं, और अब इस मामले को मुख्यमंत्री तक ले जाने की तैयारी हो रही है।घरघोड़ा नगर पंचायत का गजब कारनामा: आवक-जावक पंजी में भ्रष्टाचार की नई कहानी
आवक-जावक पंजी में अनियमितताएं: भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें
घरघोड़ा नगर पंचायत में आवक-जावक पंजी का उपयोग प्राप्त और प्रेषित पत्रों को अंकित करने के लिए किया जाता है। हालांकि, जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक की अवधि के दौरान इस पंजी में भारी अनियमितताएं पाई गईं। आवक पंजी में क्रमांक 909 से सीधे 1000 तक के नंबर दर्ज किए गए हैं, जिससे 91 नंबर गायब हैं। इसी तरह, जावक पंजी में 1116 के बाद सीधे 1691 तक का क्रमांक दर्ज है, जिससे 575 नंबर छूट गए हैं। ये गायब हुए नंबर गंभीर सवाल खड़े करते हैं और इन पत्रों को छुपाने के पीछे के उद्देश्यों की जांच की मांग करते हैं।घरघोड़ा नगर पंचायत का गजब कारनामा: आवक-जावक पंजी में भ्रष्टाचार की नई कहानी
छुट्टी के दिन भी चला कार्यलय: जांच की मांग
नगर पंचायत घरघोड़ा की जावक पंजी में छुट्टी के दिन भी पत्र प्रेषित किए गए हैं। 17 फरवरी 2024 (शनिवार) और 28 जनवरी 2024 (रविवार) को पत्रों का प्रेषण दिखाया गया है, जो सामान्य शासकीय प्रक्रिया के विपरीत है। इसमें सीएमओ और कर्मचारियों के एरियर्स भुगतान, अनुबंध पत्र, और राजस्व वसूली के पत्र शामिल हैं। यह स्पष्ट रूप से अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जिसके लिए गहन जांच की आवश्यकता है।घरघोड़ा नगर पंचायत का गजब कारनामा: आवक-जावक पंजी में भ्रष्टाचार की नई कहानी
फर्जी दस्तावेजों की संभावना: जावक पंजी में कोरे पृष्ठ और बाहरी हस्तक्षेप
जावक पंजी में कई कोरे पृष्ठों और फर्जी दस्तावेजों की संभावनाएं भी उजागर हुई हैं। जावक क्रमांक 1946 से 1948 तक कोरा छोड़ा गया है, और 1949 में केवल “सयुक्त” लिखकर छोड़ दिया गया है। यह कोरे पृष्ठ कभी भी फर्जी पत्रों के लिए उपयोग किए जा सकते हैं, जो शासन के स्पष्ट नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, क्रमांक 846, 847, और 848 में दुकान आवंटन का उल्लेख शीशे से लिखा गया है, जिसे बाहरी व्यक्ति द्वारा लिखा गया बताया जा रहा है। इससे फर्जी दुकान आवंटन की आशंका बढ़ गई है, जिसे लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं ने जांच की मांग की है।घरघोड़ा नगर पंचायत का गजब कारनामा: आवक-जावक पंजी में भ्रष्टाचार की नई कहानी
आरटीआई का महत्त्व: पारदर्शिता की ओर एक कदम
आरटीआई के माध्यम से इस प्रकार की अनियमितताओं का खुलासा होना नगर पंचायत की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण है। विजय शिशु सिन्हा ने इस मामले को मुख्यमंत्री और अन्य उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और छोटे कर्मचारियों पर अन्याय न हो।घरघोड़ा नगर पंचायत का गजब कारनामा: आवक-जावक पंजी में भ्रष्टाचार की नई कहानी