बालोद DMF फंड की कमी से स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं जैसे अन्य सहायता पर संकट डीएमएफ फंड, खनिज संपन्न जिलों में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।
मीनू साहू बालोद
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं पर संकट गहराता जा रहा है। इसका मुख्य कारण है डीएमएफ (जिला खनिज निधि) फंड का उचित उपयोग न हो पाना। इस समस्या के कारण न केवल स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा रही हैं, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में भी गंभीर असर देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों और शिक्षा दूतों की परेशानी इस स्थिति को और जटिल बना रही है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
जिला खनिज निधि यानी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फ़ाउंडेशन (DMF) का इस्तेमाल खनन से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के कल्याण के लिए किया जाता है. इस फ़ंड का इस्तेमाल इन कामों में किया जाता है।खनन प्रभावित क्षेत्रों में विकासात्मक और कल्याणकारी परियोजनाएं लागू करना खनन से प्रभावित लोगों के लिए दीर्घकालिक आजीविका सुनिश्चित करना खनन से जुड़े कार्यों से प्रभावित लोगों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम करना पर्यावरण गुणवत्ता बढ़ानाडीएमएफ फंड, खनिज संपन्न जिलों में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। इस फंड का उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, और बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। लेकिन बालोद जैसे आदिवासी अंचल पिछड़ा जिले में इस फंड का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में इस फंड के अभाव के कारण कई योजनाएं अधूरी पड़ी हैं।डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (DMF) भारत में खान और खनिज विकास विनियमन संशोधन अधिनियम, 2015 के तहत स्थापित एक गैर-लाभकारी निकाय के रूप में स्थापित एक ट्रस्ट है। इस संबंध में, डीएमएफ को 23/03/2016 को पंजीकृत किया गया था और खनन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की विकासात्मक जरूरतों के लिए काम कर रहा है।
बालोद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पहले से ही कमजोर थी, लेकिन डीएमएफ फंड की कमी ने इसे और बदतर बना दिया है। जिले के कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। जो डॉक्टर पहले से सेवा दे रहे थे, वे भी अब भाग रहे हैं।डीएमएफ फंड से मिलने वाले अपर्याप्त वेतन में देरी के कारण डॉक्टर निराश हो रहे हैं स्वास्थ्य केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। जिससे कार्यस्थल में खराब स्थिति से गुजरना पड़ता है इन सबके चलते जिले के कई डॉक्टर अन्यत्र नौकरी की तलाश में जा रहे हैं। डॉक्टरों की कमी से न केवल सामान्य मरीजों को परेशानी हो रही है, बल्कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा क्षेत्र में भी डीएमएफ फंड की कमी के कारण गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। शिक्षा दूत,जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षित करने का काम करते हैं, उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। जो शिक्षा के क्षेत्र में संकट दर्शा रहा है डीएमएफ फंड से भुगतान में लगातार देरी से शिक्षा दूतों को परेशानी हो रही है शिक्षा दूतों को संवेदन शील पिछड़ा क्षेत्रों में काम करना पड़ता है, जहां पूर्ण संसाधन नहीं और सुरक्षा का बड़ा खतरा है। और काम का दबाव संसाधनों की कमी के कमी के कारण शिक्षा केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिससे पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो रही है।
डौंडी विकास खंड के निवासी इस समस्या से बुरी तरह प्रभावित हैं। अस्पतालों में इलाज के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं और शिक्षा केंद्रों में पढ़ाई के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी खराब है। स्थानीय लोगों का कहना है कि डीएमएफ फंड का उपयोग सही तरीके से किया जाता तो इन समस्याओं से बचा जा सकता था। यह है स्थानीय निवासियों का पीड़ा स्थानीय प्रशासन और सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। फंड का सही तरीके से उपयोग न हो पाने और योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी सरकार और प्रशासन की उदासीनता का बेहतरीन नमूना है जिससे जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।डीएमएफ फंड के फंड के सही उपयोग के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाना चाहिए। जो उपयोग की निगरानी करेगा पिछड़ा संवेदन शील क्षेत्रों में सेवा देने वाले डॉक्टरों और शिक्षकों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।इन क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।फंड के उपयोग और योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाने के लिए नियमित ऑडिट किया जाना चाहिए।ये उपाय समस्या का संभावित समाधान शायद कर सकता हैं बालोद जिले में डीएमएफ फंड की कमी से स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। डॉक्टरों और शिक्षा दूतों की कर्तव्य हीनता इस संकट को और बढ़ा रही हैं। अगर समय रहते प्रशासन ने इस समस्या का समाधान नहीं किया तो जिले की स्थिति और खराब हो सकती है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाएं, ताकि डौंडी क्षेत्र के निवासियों को बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं मिल सकें।