बालोद। छत्तीसगढ़ में गन्ने और शक्कर का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन बालोद जिले का मां दंतेश्वरी शक्कर कारखाना अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहा। 2024-25 पेराई सत्र में 70,000 मीट्रिक टन गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन सिर्फ 64,647 मीट्रिक टन गन्ने की ही पेराई हो पाई। इस असफलता के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिससे कारखाने का भविष्य संकट में नजर आ रहा है। बालोद का मां दंतेश्वरी शक्कर कारखाना लक्ष्य से पीछे, गन्ने की कमी या प्रबंधन की लापरवाही?
क्यों लक्ष्य से पीछे रह गया शक्कर कारखाना?
🔹 गन्ने की आपूर्ति में कमी: बालोद जिले में गन्ने का उत्पादन पर्याप्त नहीं हो पा रहा है, जिससे अन्य जिलों से गन्ना मंगवाना पड़ता है। लॉजिस्टिक्स में देरी और अतिरिक्त लागत के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
🔹 किसानों को समय पर भुगतान नहीं: जिला महाप्रबंधक लिलेश्वर देवांगन के अनुसार, किसानों की कुल राशि 20.37 करोड़ रुपये में से अब तक 15.62 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया है। शेष राशि जल्द देने का वादा किया गया है, लेकिन देरी से किसानों का उत्साह कम हो रहा है।
🔹 गन्ने के दामों में वृद्धि नहीं: प्रशासन धान की कीमतें बढ़ाने पर ध्यान देता है, लेकिन गन्ने की कीमतें वर्षों से स्थिर हैं। इससे किसान गन्ने की बजाय धान और अन्य फसलों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे गन्ने की उपलब्धता कम हो रही है।
🔹 प्रबंधन की चुनौतियां: कारखाने के प्रबंधन में सुव्यवस्थित नीतियों की कमी नजर आ रही है। यदि समय रहते किसानों को सही मूल्य और सुविधाएं नहीं दी गईं, तो भविष्य में गन्ने की आपूर्ति और भी मुश्किल हो सकती है। बालोद का मां दंतेश्वरी शक्कर कारखाना लक्ष्य से पीछे, गन्ने की कमी या प्रबंधन की लापरवाही?
क्या है समाधान?
✔️ गन्ने के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी हो ताकि किसान ज्यादा उत्पादन करें।
✔️ किसानों को समय पर भुगतान मिले, जिससे वे गन्ना उगाने के लिए प्रेरित हों।
✔️ स्थानीय गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएं लागू की जाएं।
✔️ कारखाने के संचालन में पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए। बालोद का मां दंतेश्वरी शक्कर कारखाना लक्ष्य से पीछे, गन्ने की कमी या प्रबंधन की लापरवाही?