
निडर छत्तीसगढ़/दुर्ग l द टेलीग्राफ अखबार ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार की बधिया उधेड़ कर रख दी है। एक के बाद एक लगातार ऐसे व्यापक भ्रष्टाचार के खुलासे कर रहा है कि भारत का मीडिया जगत मुंह ताकते रह जा रहा है। या यूं समझ लीजिए एक्सट्रीम मीडिया हाउसों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। टेलीग्राफ ने जो रिपोर्ट प्रकाशित की है वो कैग के हवाले से दी गई है। विदेश के लिए ऋण का 2.19 लाख करोड़ और प्रोविडेंट फण्ड का 21 हजार 560 करोड़ का गबन
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कैग की रिपोर्ट में दिखी शासकीय राशि में गड़बड़ी
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विदेश के लिए ऋण का 2.19 लाख करोड़ और प्रोविडेंट फण्ड का 21 हजार 560 करोड़ का गबन कैग की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से भारत में शासकीय फंड के खर्च के ब्यौरे को लेकर भारत सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। यानि कि कोई भी सरकार हो अगर गलत तरीके से शासकीय फंड का इस्तेमाल किया जाएगा तो उसका विस्तृत वर्णन कैग अपनी रिपोर्ट में सम्मिलित करती है।
लगता है कि टेलीग्राफ अखबार ने कैग ने भी हवा का रुख भांप लिया है, इसीलिए आईएएस गिरीश चंद्र मुर्मू सरकार की लगाम कसने पर तुले हैं। कैग की नई रिपोर्ट में मोदी सरकार में नए भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। जिसके अंतर्गत विदेश से लिए ऋण में 2.19 लाख करोड़ कम दिखाया गया है।
प्रोविडेंट फंड का 21,560 करोड़ कम दिखाया गया, तो सवाल ये है कि आखिरकार पैसा कहां गया? लेवी और सेस के पैसे को बड़ा डायवर्सन हुआ, पता नहीं कहां गया? कम से कम 15 सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी किसे बेची गई, पता नहीं? विदेश के लिए ऋण का 2.19 लाख करोड़ और प्रोविडेंट फण्ड का 21 हजार 560 करोड़ का गबन

सरकारी राशि का नुकसान
सरकारी पैसे को करंट अकाउंट में रखा गया, जिसके चलते ब्याज का भी नुकसान हुआ है। बाकी आप खुद संलग्न रिपोर्ट में देखिए कि टेलिग्राफ अखबार ने कितने विस्तृत रूप से रिपोर्ट को प्रकाशित किया है। जो लोग कहते हैं कि वर्तमान की केन्द्र सरकार के शासनकाल में भ्रष्टाचार नहीं हुआ है,
उनके सामने ये बहुत बड़ी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, जिसे देख कर आंकलन किया जा सकता है कि केंद्र सरकार ने कितना व्यापक भ्रष्टाचार किया है। विदेश के लिए ऋण का 2.19 लाख करोड़ और प्रोविडेंट फण्ड का 21 हजार 560 करोड़ का गबन

मोदी सरकार नहीं कर रही है प्रेस कांफ्रेंस
वर्तमान प्रधानमंत्री ने बीते सात सालों में एक बार भी प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन नहीं करके ये साफ कर दिया है कि वे देश की जनता के प्रति कितने जवाबदेह हैं। अगर प्रेस कॉन्फ्रेंस किए गए होते तो प्रधानमंत्री को सवालों के जवाब देने पड़ते हैं। घोटाले और भ्रष्टाचार पर पक्ष रखना पड़ता।
शायद इसीलिए प्रेस से इतनी दूरी बनाकर रखी गई है ताकि जवाब ही ना देना पड़े। जिसका नतीजा ये निकला कि विदेश से लिए ऋण और प्रोविडेंट फंड का 21 हजार करोड़ से अधिक रकम का गबन कर दिया गया है किंतु इस पर कोई सरकार से सवाल नहीं पूछ सकता। वाकई में मोदी जी और उनकी सरकार ने आम जनता और लोकतंत्र के तंत्र को अत्यधिक नुकसान पहुंचाया है। विदेश के लिए ऋण का 2.19 लाख करोड़ और प्रोविडेंट फण्ड का 21 हजार 560 करोड़ का गबन









