नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69,000 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने पूरी मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है और सरकार को तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, जिसमें बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण नियमावली का पालन अनिवार्य होगा।69,000 शिक्षकों की भर्ती रद्द, इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
भर्ती प्रक्रिया में उठे सवाल
यह मामला तब शुरू हुआ जब अभ्यर्थियों ने 19,000 पदों पर आरक्षण घोटाले का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि ओबीसी और एससी वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण का पालन नहीं किया गया। अभ्यर्थियों का कहना था कि ओबीसी वर्ग को 27% की जगह सिर्फ 3.86% और एससी वर्ग को 21% की जगह 16.2% आरक्षण दिया गया, जिससे बड़ी संख्या में योग्य उम्मीदवार चयनित नहीं हो सके।69,000 शिक्षकों की भर्ती रद्द, इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
आरक्षण घोटाले पर हंगामा
जब यह आरोप सामने आए, तो सरकार ने आरक्षण घोटाले से इनकार कर दिया। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में बताया कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती में 31,228 उम्मीदवार ओबीसी वर्ग से चयनित हुए थे, जिसमें से 12,360 आरक्षित पदों और 18,598 मेरिट के आधार पर चयनित हुए थे। इसके बावजूद, अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।69,000 शिक्षकों की भर्ती रद्द, इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
हाई कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट ने 6800 पदों की मेरिट पर रोक लगा दी थी और डबल बेंच में अपील के बाद 12 अगस्त 2024 को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि आरक्षण नियमों का पालन सही तरीके से नहीं किया गया, और सरकार को नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया।69,000 शिक्षकों की भर्ती रद्द, इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
आगे की कार्रवाई
अभ्यर्थी राजेश ने हाई कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब सरकार को जल्द से जल्द नई मेरिट लिस्ट जारी करनी चाहिए और उन लोगों को नौकरी से हटाना चाहिए जो पात्र नहीं थे। फिलहाल, इस मामले में सरकार का पक्ष अभी सामने नहीं आया है, लेकिन यह फैसला प्रदेश में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में एक नया मोड़ ला सकता है।69,000 शिक्षकों की भर्ती रद्द, इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला