कैग का बड़ा खुलासा: कांग्रेस राज में मजदूरों के 35 करोड़ छवि चमकाने और ऑफिस सजाने पर खर्च!

कैग का बड़ा खुलासा: कांग्रेस राज में मजदूरों के 35 करोड़ छवि चमकाने और ऑफिस सजाने पर खर्च!
WhatsApp Group Join NowFacebook Page Follow NowYouTube Channel Subscribe NowTelegram Group Follow NowInstagram Follow NowDailyhunt Join NowGoogle News Follow Us!
मुख्य बिंदु:
श्रमिक कल्याण मंडल में 35.4 करोड़ के फंड के गलत इस्तेमाल का कैग रिपोर्ट में खुलासा।
मजदूरों के पैसे से विज्ञापन, ऑफिस की साज-सज्जा, वाहन और लैपटॉप खरीदे गए।
अपात्र लोगों को साइकिलें बांटी गईं, मृतकों के परिवारों को बीमा का लाभ भी नहीं मिला।
कैग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राशि की वसूली की सिफारिश की है।
रायपुर: कैग का बड़ा खुलासा: कांग्रेस राज में मजदूरों के 35 करोड़ छवि चमकाने और ऑफिस सजाने पर खर्च!, छत्तीसगढ़ में श्रमिकों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए बने फंड में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट ने पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में हुई वित्तीय अनियमितताओं की पोल खोल दी है। रिपोर्ट के अनुसार, मजदूरों के हक के 35.4 करोड़ रुपये उनके कल्याण पर खर्च करने के बजाय अपनी छवि चमकाने, दफ्तरों की साज-सज्जा और वाहन खरीदने जैसे कामों पर उड़ा दिए गए।
कहां-कहां हुआ फंड का गलत इस्तेमाल?
कैग की 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं:
छवि चमकाने पर 25 करोड़ खर्च: रिपोर्ट के अनुसार, मंडल ने 2017 से 2022 के बीच अनियमित विज्ञापनों पर 25.17 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। कैग ने इसे नियमों का उल्लंघन माना है।
साज-सज्जा और वाहनों पर 2.43 करोड़: मजदूरों की योजनाओं पर पैसा खर्च करने की बजाय, मंडल ने कार्यालय निर्माण, उसकी साज-सज्जा, वाहन खरीदने और लैपटॉप जैसी चीजों पर 2.43 करोड़ रुपये खर्च कर दिए।
योजनाओं में भी भारी गड़बड़ी
फंड के दुरुपयोग का असर सीधे तौर पर मजदूरों के लिए बनी योजनाओं पर पड़ा:
अपात्रों को बांटी साइकिलें: मुख्यमंत्री साइकिल सहायता योजना के तहत 2,772 ऐसे श्रमिकों को साइकिलें बांट दी गईं, जो निर्धारित आयु सीमा को पार कर चुके थे और योजना के लिए पात्र ही नहीं थे।
बीमा योजना में धोखा: निर्माण मजदूर जीवन ज्योति बीमा योजना में भी बड़ी लापरवाही सामने आई। 13 मामलों में मजदूरों की मृत्यु हो जाने के बाद उनका प्रीमियम जमा किया गया। वहीं, 21 ऐसे मामले थे, जहां मजदूर की मृत्यु बीमा अवधि के दौरान हो गई, लेकिन उनके नॉमिनी को 2 लाख रुपये के बीमा कवर का कोई लाभ नहीं दिया गया।
मोबाइल वैन योजना भी फेल: दूर-दराज के इलाकों में मजदूरों का पंजीकरण करने के लिए बनी मोबाइल पंजीयन वैन योजना भी जमीन पर नहीं उतरी और शिविरों का आयोजन ही नहीं किया गया।
कैग ने की वसूली की सिफारिश
इन गंभीर वित्तीय अनियमितताओं पर कैग ने कड़ी आपत्ति जताई है। कैग ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सिफारिश की है कि इन सभी राशियों की वसूली कल्याण कोष में वापस की जानी चाहिए, ताकि यह पैसा वास्तव में जरूरतमंद श्रमिकों के काम आ सके।कैग का बड़ा खुलासा: कांग्रेस राज में मजदूरों के 35 करोड़ छवि चमकाने और ऑफिस सजाने पर खर्च!









