प्राइवेट स्कूलों को बड़ी राहत: अब डिपो में नहीं, स्कूल में ही स्कैन होंगी सरकारी किताबें, 7 दिन में देनी होगी रिपोर्ट
मुख्य बातें:
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सरकारी किताबों के वितरण में पाठ्य पुस्तक निगम ने नियमों में बड़ा बदलाव किया।
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स्कूल संचालकों के विरोध के बाद डिपो में स्कैनिंग की अनिवार्यता खत्म की गई।
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अब स्कूल किताबें ले जाकर अपने परिसर में स्कैन कर सकेंगे, लेकिन 7 दिन के भीतर रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा।
रायपुर: अब डिपो में नहीं, स्कूल में ही स्कैन होंगी सरकारी किताबें,, छत्तीसगढ़ में सरकारी किताबों के वितरण को लेकर प्राइवेट स्कूल संचालकों और पाठ्य पुस्तक निगम के बीच चल रहा विवाद सुलझ गया है। स्कूल संचालकों की समस्याओं को देखते हुए निगम ने अपने नियमों में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है। अब निजी स्कूलों को डिपो पर घंटों लाइन लगाकर किताबें स्कैन करने की जरूरत नहीं होगी। वे किताबें सीधे अपने स्कूल ले जा सकेंगे और वहीं स्कैनिंग प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे।
क्यों पुरानी व्यवस्था बनी सिरदर्द?
पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से पाठ्य पुस्तक निगम ने इस साल से एक नई “स्कैन पद्धति” शुरू की थी। इसके तहत राज्य के सभी 6 डिपो (रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर, रायगढ़, राजनांदगांव, जगदलपुर) पर निजी स्कूलों को किताबें लेने से पहले उन्हें वहीं स्कैन करना अनिवार्य था।अब डिपो में नहीं, स्कूल में ही स्कैन होंगी सरकारी किताबें,
लेकिन यह व्यवस्था व्यवहारिक रूप से एक बड़ी मुसीबत बन गई थी:
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समय की बर्बादी: एक-एक स्कूल को हजारों किताबें स्कैन करनी पड़ रही थीं, जिससे शिक्षकों और कर्मचारियों का पूरा दिन डिपो पर ही बीत रहा था।
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सुविधाओं का अभाव: डिपो पर पीने के पानी, शौचालय या बैठने जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी थी।
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तकनीकी समस्या: सर्वर की धीमी गति के कारण स्कैनिंग प्रक्रिया में घंटों का समय लग रहा था।
स्कूल संचालकों का विरोध और सरकार का एक्शन
इन परेशानियों से तंग आकर छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने 3 जुलाई को किताबें उठाने से इनकार कर दिया और निगम कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। उनकी प्रमुख मांगें थीं:
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किताबों को स्कूल ले जाकर स्कैन करने की अनुमति दी जाए।
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वितरण प्रक्रिया को सुगम बनाया जाए।
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छात्रों की संख्या के अनुसार पर्याप्त किताबें उपलब्ध कराई जाएं।
मामला तूल पकड़ने और स्कूल संचालकों की परेशानी को देखते हुए सरकार और पाठ्य पुस्तक निगम ने तत्काल हस्तक्षेप किया और नियमों में बदलाव का फैसला लिया।अब डिपो में नहीं, स्कूल में ही स्कैन होंगी सरकारी किताबें,
क्या है नई व्यवस्था और इसकी शर्त?
निगम द्वारा जारी नए आदेश के अनुसार, अब निजी स्कूल संचालक डिपो से किताबें सीधे अपने स्कूल ले जा सकते हैं। वहां वे अपनी सुविधानुसार स्कैनिंग का काम पूरा कर सकते हैं। हालांकि, इस सुविधा के साथ एक शर्त भी जोड़ी गई है:
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अनिवार्य शर्त: स्कूलों को स्कैनिंग पूरी करने के बाद 7 दिनों के भीतर इसकी रिपोर्ट अनिवार्य रूप से पाठ्य पुस्तक निगम को ऑनलाइन जमा करनी होगी।
इस फैसले से प्रदेश के हजारों निजी स्कूल संचालकों ने राहत की सांस ली है। यह कदम पारदर्शिता और व्यवहारिकता के बीच एक संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है।अब डिपो में नहीं, स्कूल में ही स्कैन होंगी सरकारी किताबें,