CHC-PHC को बजट देने की बजाय जिला स्तर पर निकाला टेंडर
सवाई माधोपुर: राजस्थान के CMHO कार्यालय में अनियमितताओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब दवा खरीद टेंडर में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 खत्म होने से पहले ही करोड़ों रुपये की दवा खरीद का टेंडर निकाला गया, जिसमें कई नियमों को ताक पर रख दिया गया है।
टेंडर घोटाले में क्या हुई गड़बड़ियां?
– 3 करोड़ से ज्यादा का टेंडर: CMHO कार्यालय ने 17 फरवरी को पत्र क्रमांक 502 जारी कर 3 करोड़ से ज्यादा की दवा खरीद का टेंडर जारी किया।
– महज 10 दिन का समय: नियमानुसार टेंडर के लिए कम से कम 21 दिन का समय दिया जाना चाहिए, लेकिन इस टेंडर में सिर्फ 10 दिन दिए गए।
– बिना साइन के टेंडर जारी: टेंडर पर कमेटी के सभी सदस्यों के साइन भी नहीं करवाए गए।
– लोकल अखबारों में नहीं हुआ प्रकाशन: नियमानुसार टेंडर की सूचना स्थानीय अखबारों में प्रकाशित की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
– सरकारी बजट का दुरुपयोग: CHC और PHC के बजट से दवा खरीद होनी चाहिए थी, लेकिन इसे जिला स्तर पर निकालकर खास फर्म को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई।
नियम क्या कहते हैं?
राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आदेश क्रमांक DMHS/MNNRY/DAUA/2024/467 के अनुसार, दवा खरीद के लिए CHC और PHC को डीपीसी सवाई माधोपुर से एनओसी मिलने के बाद ही खरीद प्रक्रिया होनी चाहिए।
लेकिन, इस टेंडर में इन सभी नियमों की अनदेखी की गई है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।
CMHO ने क्या कहा?
CMHO डॉ. अनिल जैमिनी ने सफाई देते हुए कहा कि यह टेंडर पहले ही जारी हो जाना चाहिए था, लेकिन अब निकाला गया है। उन्होंने कहा कि “दवा भविष्य में भी काम आएगी।”
हालांकि, जब उनसे CHC और PHC को बजट आवंटन के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि “अगर CHC-PHC बजट की मांग भेजेगी, तभी उसे दिया जाएगा।”
सवाल उठते हैं:
– टेंडर की प्रक्रिया में इतनी अनियमितताएं क्यों की गईं?
– क्या सरकार इस टेंडर की जांच करवाएगी?
– क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होगी?