नए साल की शुरुआत किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद की कीमतें बढ़ने की संभावनाएं प्रबल हैं। जो डीएपी का 50 किलो का बोरा वर्तमान में ₹1350 में मिलता है, उसकी कीमत में ₹200 तक की बढ़ोतरी हो सकती है। आइए जानते हैं इस बढ़ोतरी के मुख्य कारण और इसके किसानों पर संभावित प्रभाव। नए साल में किसानों के लिए बड़ा झटका: डीएपी खाद की कीमतों में हो सकती है वृद्धि
डीएपी की कीमत बढ़ने के पीछे कारण
- सब्सिडी की समय सीमा समाप्त:
केंद्र सरकार द्वारा डीएपी पर ₹3500 प्रति टन की विशेष सब्सिडी दी जाती है, जिसकी समय सीमा 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है। - कच्चे माल की कीमतों में उछाल:
डीएपी बनाने में उपयोग होने वाले फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया के दामों में 70% तक वृद्धि हुई है। - आयात पर निर्भरता:
देश में डीएपी की कुल मांग का 90% आयात पर निर्भर है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी के कारण आयात लागत बढ़ गई है। नए साल में किसानों के लिए बड़ा झटका: डीएपी खाद की कीमतों में हो सकती है वृद्धि
सब्सिडी खत्म होने से किसानों पर प्रभाव
यदि सरकार सब्सिडी की समय सीमा को नहीं बढ़ाती है, तो डीएपी की कीमतों में वृद्धि तय है। इसके अलावा, सब्सिडी जारी रहने पर इसका बोझ उर्वरक कंपनियों पर पड़ेगा, जिससे उत्पादन लागत में और बढ़ोतरी हो सकती है।
- आयात लागत:
वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत $630 प्रति टन है। रुपये के कमजोर होने से आयात लागत में ₹1200 प्रति टन की वृद्धि हो चुकी है। - प्रति बैग कीमत:
सब्सिडी समाप्त होने पर डीएपी का एक बैग ₹200 महंगा हो सकता है। नए साल में किसानों के लिए बड़ा झटका: डीएपी खाद की कीमतों में हो सकती है वृद्धि
किसानों के लिए जरूरी जानकारी
- डीएपी का विकल्प तलाशें:
जैविक खाद और अन्य सस्ते विकल्पों पर ध्यान दें। - सरकार से उम्मीद:
किसान संगठनों और केंद्र सरकार से अपील करें कि सब्सिडी को बढ़ाया जाए। नए साल में किसानों के लिए बड़ा झटका: डीएपी खाद की कीमतों में हो सकती है वृद्धि