वित्तीय अनियमितता में फंसे पूर्व बीईओ
कोरबा। कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड में पदस्थ रहे तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ए.के. चंद्राकर पर 10 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं। उन्होंने विद्यार्थियों के गणवेश के लिए निर्धारित कपड़े की आपूर्ति में भी लाखों रुपये का घोटाला किया। यह मामला राजीव गांधी शिक्षा मिशन के संचालक मोहम्मद कैसर अब्दुल हक की शिकायत के बाद सामने आया। कोरबा: पूर्व बीईओ पर FIR और कार्रवाई लंबित, फाइल दबाने का मामला सवालों के घेरे में
जांच में दोषी पाए गए, लेकिन कार्रवाई शून्य
शिकायत के बाद मामले की जांच कराई गई, जिसमें ए.के. चंद्राकर को दोषी पाया गया। वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि होने के बावजूद, अभी तक उनके खिलाफ न तो कोई प्राथमिकी (FIR) दर्ज हुई है और न ही कोई प्रशासनिक कार्रवाई हुई है। इसके उलट, एक अन्य मामले में बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर) पर FIR दर्ज हो चुकी है। कोरबा: पूर्व बीईओ पर FIR और कार्रवाई लंबित, फाइल दबाने का मामला सवालों के घेरे में
चंद्राकर को किसका संरक्षण?
शिक्षा विभाग में यह चर्चा जोरों पर है कि आखिर चंद्राकर को किसका संरक्षण मिल रहा है? सवाल यह भी उठता है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है और फाइलें किसने और कैसे दबवाईं? यह मामला शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। कोरबा: पूर्व बीईओ पर FIR और कार्रवाई लंबित, फाइल दबाने का मामला सवालों के घेरे में
जांच की मांग तेज
विभागीय अधिकारियों और प्रशासन से मांग उठ रही है कि फाइल दबाने और कार्रवाई में देरी की जांच होनी चाहिए। दोषियों को सख्त सजा देकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास किया जाना चाहिए। कोरबा: पूर्व बीईओ पर FIR और कार्रवाई लंबित, फाइल दबाने का मामला सवालों के घेरे में