CG Festival: हरेली तिहार अऊ गेंड़ी प्रसंग..Hareli Tihar au Gedi Prasang
सुशील भोले/रायपुर:-
Hareli Tihar: हमर छत्तीसगढ़ म हरेली एक अइसे परब आय, जेकर लइका मन गजब उत्साह के साथ अगोरा करथें। काबर ते ए दिन वोमन ल बांस के बने गेंड़ी म चघे अउ नंगत किंजरे के अवसर मिलथे। एकरे सेती लइका मन ए हरेली परब ल ‘गेंड़ी परब’ के रूप म घलो चिन्हारी करथें।
वइसे तो ए परब म गेंड़ी काबर बनाए जाथे, एकर ए परब ले संबंधित का महत्व हे, ए बात के कोनो ठोस कारण नइ मालूम होवय. अउ ते अउ एकर कोनो आध्यात्मिक कारण घलो समझ म नइ आवय। फेर चेतलग सियान मन के कहना हे, एला चम्मास के गहीर बरसा के सेती किचिर-काचर माते चिखला ले लइका मनला बचा के रेंगाए खातिर बनाए गे होही। तेमा वोमन चिखला-पानी ल नाहकत घलो स्कूल, कोनो तरिया या अपन संगी-साथी मन संग मेल-भेंट करे बर आसानी के साथ जा सकय. एकरे सेती ए हरेली परब के बहाना गेंड़ी बनाए के नेंग ल घलो कर दिए जाथे।Hareli Tihar
ठउका अइसने एकर विसर्जन खातिर घलो कोनो अलग से परब नइ मनाए जाय, तभो ले एला नरबोद परब के दिन टोर-टुरा के विसर्जित कर दिए जाथे. ए नरबोद परब ल वनांचल क्षेत्र म बहुतायत म मनाए जाथे. ए परब ल ‘पोरा तिहार’ के बिहान दिन मनाए जाथे।Hareli Tihar
नरबोद परब म सबो गाँव वाले मन पोरा के दिन के बांचे रोटी-पीठा अउ घर म जतका सदस्य होथे, वो सबो के नाव ले जुन्ना खटिया के डोरी ल गांठ बांध के, घर के जम्मो परेशानी-समस्या, रोग-राई, खाज-खजरी ल प्रतीक स्वरूप एक ठन पोतका म बांध के सकलाथें। गांव के बइगा ह सांहड़ा देव के पूजा-पाठ करथे. तहाँ ले सबो गाँव वाले मन संग सियार म पहुँचा देथे. ए तिहार म हरेली के दिन बनाए गेंड़ी ल घलो टोर-टुरा के सरोय के परंपरा ल पूरा करे जाथे। गेंड़ी ल गांव के सियार म एक पेंड़ जगा सात भांवर गोल घूम के टोरे जाथे. बइगा ह इही जगा हूम-धूप देके सबो गाँव भर के लाए पोतका मनला बार के रोग-राई ल छोड़ देथे।Hareli Tihar
एकर बाद लइका मन गाँव के सबो रोग-राई, बीमारी-परेशानी, दुख-दरद ल ले जा रे नरबोद कहिके चिल्लावत सियार म नहका देथे। बाद म बेलवा डारा, कर्रा डारा ल खेत, घर, बारी-बखरी, कोठार आदि म खोंचे जाथे. एकर मानता हे, के एकर ले जम्मो किसम के परेशानी ह दुरिहा रहिथे।Hareli Tihar
भादो महीना के अंधियार पाख म छठ के दिन मनाए जाने वाला कमरछठ परब के दिन घलो गेंड़ी ल महतारी मन शिव-पार्वती के पूजा खातिर जेन सगरी बनाए रहिथे, उहू म एक जोड़ी गेंड़ी ल मढ़ावत देखे हावन. हो सकथे सगरी के पानी म गेंड़ी ल बोरना घलो ह वोकर विसर्जित करे के प्रतीक स्वरूप होवत होही?
आज तो गेंड़ी ह प्रतियोगिता के संगे-संग कला के प्रदर्शन के रूप घलो धर लिए हे, एकरे सेती अब एला बारो महीना कोनो न कोनो रूप म देखे जा सकथे।Hareli Tihar
पाछू बछर हमर छत्तीसगढ़ सरकार ह हरेली के दिन सबो स्कूल मन म लइका मन खातिर गेंड़ी दौड़ के प्रतियोगिता आयोजित करे बर आदेश निकाले रिहिसे, तेनो ह गजब सहराय के लाइक हे. काबर ते अइसन उदिम के माध्यम ले लइका मन अपन परंपरा अउ भाखा संग जुड़त जाथें।Hareli Tihar
हरेली परब ले छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुरुआत होय के खबर घलो आए रिहिसे, जेकर माध्यम ले गेंड़ी के संगे-संग इहाँ के अउ जम्मो लोक-खेल मन डहार लोगन के चेत गे रिहिसे, उनला बढ़वार के अवसर मिले रिहिसे।Hareli Tihar
सत्ता के बदलाव संग कतकों अकन जुन्ना नियम अउ परंपरा मन म घलो बदलाव आवत जाथे, ए बात ल हमन सउंहे देखत हावन, फेर मोला जनाथे के इहाँ के परंपरा अउ अस्मिता ले जुड़े विषय मनला कोनो भी किसम के राजनीतिक बदलाव ले अलग रखे जाना चाही।Hareli Tihar