बिलासपुर: प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में थायराइड, खून और पेशाब जैसी आवश्यक जांच सुविधाओं के अभाव पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश अमितेंद्र किशोर प्रसाद की युगलपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया। CG: सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को लगाई फटकार
क्या है मामला?
बिलासपुर और प्रदेश के अन्य प्रमुख सरकारी अस्पतालों में महीनों से आवश्यक जांच सेवाएं बंद हैं। इसके कारण मरीजों को निजी लैब में महंगे दामों पर जांच करानी पड़ रही है।
- कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पतालों में रीजेंट (रासायनिक पदार्थ) की भारी कमी है।
- आठ बायोकेमेस्ट्री मशीनों में से चार मशीनें खराब पाई गईं।
- हार्मोनल एनालाइजर मशीनों के लिए भी आवश्यक सामग्री का अभाव है। CG: सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को लगाई फटकार
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
- कोर्ट ने कहा, “लाखों की खरीदी गई मशीनें सिर्फ सजावट के लिए नहीं हैं। उनका उपयोग मरीजों की जांच और समय पर रिपोर्ट देने के लिए होना चाहिए।”
- स्वास्थ्य विभाग को जल्द से जल्द रीजेंट की आपूर्ति सुनिश्चित करने और मशीनों की मरम्मत करने के आदेश दिए गए। CG: सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को लगाई फटकार
शासन का पक्ष
शासन की ओर से मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने शपथपत्र पेश किया।
- उपमहाधिवक्ता यशवंत कुमार ठाकुर ने बताया कि रीजेंट की कमी दूर करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है।
- जिला अस्पताल में सेमी-ऑटोमेटिक मशीन से जांच की जा रही है। CG: सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को लगाई फटकार
अगली सुनवाई और कोर्ट के निर्देश
हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और अन्य संबंधित पक्षों को नियमित निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर 2024 को होगी। CG: सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को लगाई फटकार