लोकसभा चुनाव में कुछ दिन बचे है इसलिए दुर्ग जिले को प्रभावित करने वाले स्थानीय मुद्दे… जिन पर विगत भूपेश बघेल सरकार ने आम जनता का साथ नहीं दिया और अपनी बहुमत की सत्ता गवाई… अब लोकसभा चुनाव में दुर्ग के मुद्दे पुनः उठेंगे.. क्योंकि यह स्थानीय किसानों का मामला है पढ़िए विस्तार से…
लेखक – अमोल मालुसरे
NCG News desk:-
औद्योगिक तीर्थ भिलाई ने भारत को इस्पात के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया सिक्के के सुखद पहलू को सब जानते है लेकिन जिन किसान परिवारों ने अपनी अन्नदाता जमीन मकान और सुख शांति गवाई उनका दर्द कौन जानेगा…(CG Loksabha Election)
भिलाई इस्पात संयंत्र के सर्वांगीण श्रमविरों का खून पसीना है तो इसके नीव में दबी है स्थानीय किसाओं की भावनाएं जो अनियमित अधिग्रहण कार्यवाही के कारण आहत हैं और व्यथा का निराकरण भूपेश बघेल सरकार ने नही किया… जिसके कारण वैचारिक आंदोलन प्रारंभ हो गया है ।(CG Loksabha Election)
भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण
भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) की स्थापना गतिविधि 1954 में प्रारंभ हुई थी। इसके निर्माण के लिए, भारी मात्रा में भूमि अधिग्रहित की गई थी। यह भूमि अधिग्रहण 1954 से 1959 तक चरणों में हुआ था।(CG Loksabha Election)
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया (CG Loksabha Election)
भूमि का चयन: बीएसपी के लिए भूमि का चयन करते समय कई कारकों पर विचार किया गया था, जिनमें कच्चे माल की उपलब्धता, रेलवे और सड़क संपर्क, पानी की उपलब्धता, और पर्याप्त जगह शामिल थे।
मुआवजा: अधिग्रहित भूमि के लिए किसानों को मुआवजा दिया गया था। मुआवजे की राशि भूमि की गुणवत्ता, फसल की स्थिति, और अन्य कारकों के आधार पर तय की गई थी।
पुनर्वास: जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी, उन्हें अन्य जगहों पर पुनर्वासित किया गया था। उन्हें घरों के लिए जमीन, कृषि के लिए जमीन, और अन्य सुविधाएं प्रदान की गई थीं।
भूमि अधिग्रहण का सामाजिक प्रभाव: भूमि अधिग्रहण का स्थानीय समुदायों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। कई परिवारों को अपने घरों और खेतों को छोड़कर अन्य जगहों पर जाना पड़ा।
आर्थिक प्रभाव: भूमि अधिग्रहण का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा। कृषि का उत्पादन कम हुआ और कई लोगों की आजीविका प्रभावित हुई।
पर्यावरणीय प्रभाव: भूमि अधिग्रहण का पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ा। जंगलों को साफ किया गया और बड़ी मात्रा में भूमि का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया गया।
भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद (CG Loksabha Election)
असंतोष: भूमि अधिग्रहण से जुड़े कई विवाद भी थे। कुछ किसानों का मानना था कि उन्हें मुआवजे की पर्याप्त राशि नहीं दी गई थी। कुछ लोगों का यह भी मानना था कि पुनर्वास प्रक्रिया उचित नहीं थी।
प्रशासकीय तानाशाही: बीएसपी के लिये अधिग्रहित की गई भूमि का भू अभिलेख व अन्य रिकॉर्ड कहां है इसकी जानकारी जिला प्रशासन उजागर नहीं करने की मंशा से कार्य करता रहा है इस मामले से व्यथित लोग कागजी कार्यवाही करते हुए थक गए है लेकिन स्थानीय नेताओं की मंशा की गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण यह मामला स्थानीय किसानों को अधिक परेशान कर रहा है ।
भूपेश बघेल ने दिया धोखा: दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा ने भूपेश बघेल को जिताया और मुख्यमंत्री भी बनाया लेकिन भूपेश बघेल ने बीएसपी के लिए भूमि अधिग्रहण मामले में स्थानीय किसान परिवारों के हित रक्षण के लिए कुछ नहीं किया उल्टे बीएसपी के आवासीय भवनों और व्यवसायिक परिसरों के लीज मामले में किए गए कथन को न्यायलयीन चुनौती दिए जाने के बाद भी भूपेश बघेल प्रतिक्रिया नहीं देकर अपनी कुटिल मंशा से कार्य करते नजर आ रहे हैं ।
“भूपेश बघेल भैय्या का… विरोध क्यों ? भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसका स्थानीय समुदायों, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा लेकिन विडंबना यह है कि इसके दुष्परिणामों व किसानों के अधिकारों पर हुए प्रशासकीय अतिक्रमण के विषय पर किसी भी प्रशासकीय अधिकारी और कलेक्टर ने संज्ञान नहीं लिया तथा जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस विषय पर लिखित नोटिस से सुचित किया गया तो लिखित व्यथा को भूपेश बघेल ने रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिया ।”(CG Loksabha Election)
और पढ़ें:-
- रेलवे ट्रैक पर मिला बीएसपी वर्कर का शव, घर पर हो रही थी शादी की तैयारी
- बीएसपी के ब्लास्ट फर्नेस 6 में लगी आग, फायर ब्रिगेड मौजूद
- फैक्ट्री में ब्लास्ट से हुई मजदूर की मौत, मुवावजा देने से फैक्ट्री प्रबंधन कर रहा इनकार, शोक में डूबे मृतक के परिजन
- Bhilai Steel Plant में फिर बड़ा हादसा, बार एंड रॉड मिल (BRM) में लगी आग
- भिलाई स्टील प्लांट में लगी भीषण आग, 35 से अधिक अधिकारी कर्मचारी थे मौजूद
- भिलाई स्टील प्लांट में बड़ा हादसा, 4 मजदूर बुरी तरह से झुलसे… गंभीर हालत में सेक्टर-9 अस्पताल में कराया गया भर्ती…
निशा देशमुख : सामाजिक कार्यकर्ता
नोट :- इस लेख के विषयवस्तु पर किसी को दाव-आपत्ति हो तो लेखक आपका सहर्ष स्वागत करता है सक्षम न्यायालय में याचिका दायर कर लेखक को पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर अवश्य दें ।