रायगढ़

चक्रधर समारोह 2025: शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम, कलाकारों की प्रस्तुतियों से दर्शक हुए मंत्रमुग्ध!

रायगढ़। चक्रधर समारोह 2025: शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम, कलाकारों की प्रस्तुतियों से दर्शक हुए मंत्रमुग्ध!, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह 2025 के पांचवें दिन संगीत, नृत्य और लोक प्रस्तुतियों की मनमोहक छटा से सांस्कृतिक मंच जीवंत हो उठा। इस ऐतिहासिक समारोह में शास्त्रीय संगीत, कथक, भरतनाट्यम और मधुर गायन का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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रायगढ़ की बेटी आराध्या कुमारी सिंह ने बिखेरा शास्त्रीय संगीत का जादू

समारोह की शुरुआत रायगढ़ की नन्ही प्रतिभा आराध्या कुमारी सिंह की मनमोहक शास्त्रीय संगीत प्रस्तुति से हुई। अपनी मधुर वाणी और स्वरलहरियों से उन्होंने राग वृंदावली सारंग में छोटा खयाल, तीन ताल, द्रुत लय, तराना और मीरा भजन प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। तबले पर राम भावसर, सारंगी पर शफीन हुसैन, हारमोनियम पर लालाराम और पलक प्रधान ने संगत कर माहौल को और भी संगीतमय बना दिया।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

बचपन से ही संगीत की शिक्षा ले रही हैं आराध्या:

आराध्या सिंह पिछले चार वर्षों से चक्रधर कला एवं संगीत महाविद्यालय में गुरु माता चंद्रा देवांगन से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। बाल्यावस्था से ही संगीत के प्रति गहरी रुचि रखने वाली आराध्या, देश की प्रसिद्ध भजन गायिका मैथिली ठाकुर को अपना आदर्श मानती हैं। मंच पर उनके आत्मविश्वास और स्वर माधुर्य ने उपस्थित संगीत प्रेमियों को गहराई तक प्रभावित किया।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

कोरबा की अश्विका साव ने कथक नृत्य से जीता दिल

चक्रधर समारोह के मंच पर कलाकारों ने अपनी कला प्रतिभा से चार चांद लगा दिए। कोरबा की कुमारी अश्विका साव ने अपनी शानदार कथक नृत्य प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। दक्षिण भारत की इस शास्त्रीय नृत्य शैली में सुर, ताल और लय का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

तीन वर्ष की आयु से कर रही हैं कथक का अभ्यास:

अश्विका साव तीन वर्ष की आयु से ही कथक का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। वर्तमान में उन्होंने लखनऊ घराने से सीनियर डिप्लोमा पूरा कर लिया है। विद्यालय, स्थानीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंचों पर प्रस्तुति देकर वह कई बार सराही जा चुकी हैं और विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट स्थान भी हासिल कर चुकी हैं।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

भिलाई की आद्या पाण्डेय ने भरतनाट्यम से किया आकर्षित

भिलाई की 16 वर्षीय नृत्यांगना आद्या पाण्डेय ने अपनी भरतनाट्यम प्रस्तुति से ऐसा समां बांधा कि पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। भारतीय इतिहास और शास्त्रीय नृत्य की भाव-भंगिमाओं को उन्होंने जिस सहजता और शुद्धता से प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आद्या पाण्डेय अब तक 25 राष्ट्रीय और 3 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

4 वर्ष की आयु में भरतनाट्यम सीखना शुरू किया:

आद्या पाण्डेय ने मात्र 4 वर्ष की आयु में भरतनाट्यम की शिक्षा प्रारंभ की और अपने गुरु नृत्य चूड़ामणि अलंकृत डॉ. जी. रतीश बाबू से विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया। शिक्षा के क्षेत्र में भी दक्ष आद्या, कक्षा 11वीं की छात्रा हैं और उन्होंने हाल ही में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट अंक हासिल किए हैं।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

रायगढ़ की शैल्वी सहगल ने कथक की मधुर प्रस्तुति से मोहा मन

रायगढ़ की मात्र 14 वर्षीय नृत्यांगना शैल्वी सहगल ने अपनी कथक प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। कक्षा 9वीं की छात्रा शैल्वी ने ताल, लय और भाव-भंगिमाओं की अद्भुत अभिव्यक्ति से रायगढ़ कथक की समृद्ध परंपरा को जीवंत कर दिया। अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से सराहना प्राप्त कर चुकी शैल्वी का सपना है कि वह भविष्य में एक पेशेवर कथक नर्तकी बनकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करें।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

रायपुर की अन्विता विश्वकर्मा ने दी लखनऊ घराने की प्रस्तुति

रायपुर की नन्ही नृत्यांगना अन्विता विश्वकर्मा ने लखनऊ घराने की भावपूर्ण और सधी हुई प्रस्तुति दी। मात्र 11 वर्ष की आयु में अन्विता ने अपनी अद्भुत नृत्यकला से दर्शकों का मन मोह लिया। उन्होंने उठान, विष्णु वंदना, ठाठ, आमद, बोल-तोड़े एवं परन और कविता रूपी ठुमरी के साथ अंत में तत्कार के प्रकार की प्रस्तुति दी।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

प्रतिष्ठित मंचों पर दे चुकी हैं प्रस्तुति:

लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाली अन्विता अपनी गुरु अंजनी ठाकुर के मार्गदर्शन में लगातार निखर रही हैं। देश और प्रदेश के कई प्रतिष्ठित मंचों एवं प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अन्विता अनेक पुरस्कार जीत चुकी हैं। चक्रधर समारोह के मंच पर उनकी प्रस्तुति ने यह संदेश भी दिया कि समर्पण और साधना से नन्ही उम्र में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

दुर्ग की एम.टी. मृन्मयी ने भरतनाट्यम नृत्य से बांधा समां

दुर्ग की भरतनाट्यम नृत्यांगना एम.टी. मृन्मयी ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रसिद्ध भरतनाट्यम आचार्य डॉ. जी. रतीश बाबू की सुपुत्री एवं शिष्या मृन्मयी ने अपनी साधना और अनुशासन से भरतनाट्यम की परंपरा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। अब तक 1300 से अधिक मंचों पर एकल प्रस्तुतियां देकर उन्होंने शास्त्रीय नृत्य मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व:

मृन्मयी ने देश के विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों के साथ-साथ बैंकॉक, मलेशिया एवं अन्य देशों में भी भारत की शास्त्रीय नृत्य परंपरा का प्रतिनिधित्व किया है। उन्हें सीसीआरटी छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया है और कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

राजनांदगांव के कथक कलाकार डॉ. कृष्ण कुमार सिन्हा ने बिखेरा जादू

राजनांदगांव के प्रख्यात कथक कलाकार डॉ. कृष्ण कुमार सिन्हा और उनकी टीम ने नृत्य की अद्भुत छटा बिखेरी। कथक की विविध झलकियों से सजे मंच पर उन्होंने शिव स्तुति, शिव तांडव, गंगा अवतरण, रायगढ़ एवं जयपुर घराना, लखनऊ घराने की छटा, तोड़ा, तराना, जुगलबंदी, नाव की गत और अष्ट नायिका जैसी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

कथक नृत्य में पीएचडी हैं डॉ. कृष्ण कुमार सिन्हा:

डॉ. कृष्ण कुमार सिन्हा का जन्म 12 दिसंबर 1960 को राजनांदगांव में हुआ था। लोक कला के प्रति गहरी रुचि रखते हुए उन्होंने मात्र 15 वर्ष की आयु में ‘चंदेनी गोंदा’ नामक लोक कलाकार समूह से जुड़कर छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य और गीतों को नई पहचान दिलाई। वे अपने गुरु खुमान लाल साव को जीवन का मार्गदर्शक मानते हैं।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

डॉ. मेघा राव और बहन शुभ्रा तलेगांवकर ने शास्त्रीय संगीत से बांधा समां

ख्याति प्राप्त शास्त्रीय गायिका डॉ. मेघा तलेगांवकर राव और उनकी छोटी बहन शुभ्रा तलेगांवकर ने अपनी मनमोहक भक्तिमय भजन गायकी से उपस्थित दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। तलेगांवकर परिवार की तीसरी पीढ़ी की प्रतिभाशाली कलाकार, मेघा और शुभ्रा ने बचपन से ही शास्त्रीय संगीत की साधना शुरू की।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

माता-पिता से ग्रहण की संगीत की शिक्षा:

उन्होंने अपने पिता पंडित केशव तलेगांवकर और माता प्रतिभा केशव तलेगांवकर से उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त किया। शुभ्रा तलेगांवकर आकाशवाणी की चयनित कलाकार हैं और देशभर के प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। बीते दो दशकों से भारत, चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप में शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियों और साधना के लिए ख्याति प्राप्त डॉ. मेघा और शुभ्रा तलेगांवकर की यह प्रस्तुति दर्शकों के लिए अविस्मरणीय रही।शास्त्रीय संगीत, कथक और भरतनाट्यम की अद्भुत शाम

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