चक्रधर समारोह 2025: कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
कथक, भरतनाट्यम, शास्त्रीय गायन और संतूर वादन की मनमोहक प्रस्तुतियों से गूंजा रायगढ़

रायगढ़: चक्रधर समारोह 2025: कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के 40वें वर्ष का छठा दिन शास्त्रीय संगीत और नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों से सराबोर रहा। रायगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करतीं इन प्रस्तुतियों ने जहां परंपरा और आधुनिकता का संगम दिखाया, वहीं कलाकारों की नृत्य-भावभंगिमाएं और सुर-लहरियां देर रात तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करती रहीं। समारोह में स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन कर कला प्रेमियों का दिल जीत लिया।
स्थानीय प्रतिभाओं का शानदार प्रदर्शन
कार्यक्रम का शुभारंभ स्थानीय कलाकारों ने किया, जिन्होंने अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कोरबा के प्रतिभाशाली बाल कलाकार मास्टर पार्थ यादव ने अपने तबला वादन से अपनी साधना और लगन का परिचय दिया। उनकी प्रस्तुति में ताल और लय की अनूठी समझ स्पष्ट झलक रही थी, जिसके लिए उन्हें खूब सराहा गया।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
रायगढ़ की नन्हीं बालिका ऋत्वी अग्रवाल, जो महज चार वर्ष की हैं, ने अपनी कथक नृत्य से सुर, ताल और लय का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। इस वर्ष की सबसे कम उम्र की प्रतिभागी ऋत्वी की ऊर्जावान अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास से भरे मंचन ने सभी का मन मोह लिया।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
वहीं, रायगढ़ की बेटी सौम्या शर्मा ने भी कथक नृत्य की लयकारी और अभिव्यक्ति से दर्शकों को भावविभोर किया। उन्होंने तीन ताल में गणेश वंदना, जयपुर घराने के तोड़े-तुकड़े और राग केदार पर एक तराना प्रस्तुत कर अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
रायगढ़ की हीना दास ने ओडिसी नृत्य की शास्त्रीय गरिमा को मंच पर उतारते हुए ‘नवदुर्गा’ पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया, जिसमें देवी के नव रूपों का सजीव चित्रण हुआ। हीना की प्रस्तुति ने ओडिसी नृत्य की गहराई और भावाभिव्यक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
देशभर के कलाकारों ने दी प्रस्तुति
राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुतियों ने समारोह को और भी ऊँचाई दी। दिल्ली से आईं नृत्यांगना आरोही मुंशी ने भरतनाट्यम की अनुपम प्रस्तुति देकर दर्शकों को दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य परंपरा से परिचित कराया। उन्होंने महिषासुर मर्दिनी की भावपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसमें माँ दुर्गा के रौद्र और शांत दोनों रूपों का अद्भुत चित्रण हुआ।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
ओडिशा के बरगढ़ जिले से आईं 21 वर्षीय कथक नृत्यांगना मुक्ता मेहर ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने भगवान शिव की स्तुति से शुरुआत की और रायगढ़ घराने के चुनिंदा बोलों जैसे पक्षी परन और दरबदल परन प्रस्तुत किए, जिसमें ताल की विविधता और लयकारी की अद्भुत छटा दिखाई दी।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
बिलासपुर के पं. भूपेंद्र बरेठ और उनकी टीम ने कथक की सूक्ष्मता और ऊर्जा से भरी प्रस्तुति दी। रायगढ़ घराने के सुप्रसिद्ध कथक नर्तक एवं गुरु पं. भूपेन्द्र बरेठ ने अपनी अद्वितीय प्रस्तुति से इस गौरवशाली परंपरा को नई ऊँचाई प्रदान की। उन्होंने श्रीराम स्तुति और महाराजा चक्रधर सिंह से जुड़ी पारंपरिक बंदिशों की मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
समारोह में मुंबई की पद्मश्री डॉ. अश्विनी भिडे देशपाण्डे ने अपने मधुर हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन से संगीतमय वातावरण रच दिया। जयपुर अतरौली घराने की प्रतिनिधि डॉ. देशपाण्डे ने खयाल, भजन और ठुमरी प्रस्तुत कर सुर, ताल और भाव का ऐसा संगम रचा कि दर्शक भावविभोर हो उठे।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
वहीं दिल्ली के विख्यात संतूर वादक डॉ. विपुल कुमार राय ने संतूर की मधुर और मनमोहक झंकार से पूरा पंडाल गूंजा दिया। सूफियाना घराने के मशहूर संतूर वादक पद्मश्री पं. भजन सोपोरी के शिष्य डॉ. राय की प्रस्तुति में रागों की शुद्धता, छंदों का मधुर प्रयोग और लयकारी की अनूठी बारीकियाँ निरंतर उजागर होती रहीं।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां
छठे दिन की कथक, ओडिसी, भरतनाट्यम, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन और संतूर वादन की सुरमयी और भावपूर्ण छवियां देर रात तक दर्शकों के मन-मस्तिष्क में गूंजती रहीं, जिसने रायगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को एक बार फिर जीवंत कर दिया। यह समारोह कला और कलाकारों को एक मंच प्रदान करने के साथ-साथ दर्शकों को भारतीय शास्त्रीय कलाओं की समृद्ध परंपरा से रूबरू कराता रहा।कला और संस्कृति का महाकुंभ, स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों ने बांधा समां









