बिलासपुर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात की याचिका को खारिज कर दिया है। पीड़िता के अभिभावकों ने कोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी, जिसे विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर खारिज कर दिया गया।छत्तीसगढ़: हाईकोर्ट ने नाबालिग के गर्भपात की याचिका खारिज की, राज्य सरकार को सभी व्यवस्थाएं करने का आदेशदुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात की याचिका खारिज
विशेषज्ञों की राय: गर्भपात पीड़िता के लिए खतरनाक
जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की कोर्ट ने इस मामले में विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक 9 सदस्यीय टीम गठित की, जिसने जांच के बाद पाया कि पीड़िता की गर्भावस्था लगभग 32 सप्ताह की है। टीम ने यह निष्कर्ष निकाला कि इस स्थिति में गर्भपात करना पीड़िता के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, गर्भावस्था का सुरक्षित प्रसव करवाना ही उचित रहेगा क्योंकि भ्रूण स्वस्थ है और उसमें किसी भी प्रकार की जन्मजात विसंगति नहीं पाई गई।नाबालिग के गर्भपात की याचिका खारिज
हाईकोर्ट का फैसला: गर्भावस्था जारी रखने का आदेश
हाईकोर्ट ने विशेषज्ञों की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए गर्भपात की याचिका खारिज कर दी और कहा कि इस गर्भकालीन आयु में गर्भावस्था को समाप्त करना अधिक जोखिम भरा हो सकता है। कोर्ट ने गर्भावस्था जारी रखने और सहज प्रसव कराने का आदेश दिया।नाबालिग के गर्भपात की याचिका खारिज
राज्य सरकार को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि नाबालिग पीड़िता के प्रसव के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं और खर्च वहन किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पीड़िता और उसके माता-पिता की इच्छा हो तो प्रसव के बाद बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को भी राज्य सरकार की देखरेख में पूरा किया जाए।नाबालिग के गर्भपात की याचिका खारिज
इस महत्वपूर्ण फैसले के तहत, हाईकोर्ट ने नाबालिग पीड़िता के गर्भपात की याचिका को खारिज कर दिया है और राज्य सरकार को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं और खर्च वहन करने का आदेश दिया है। विशेषज्ञों की राय और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर, कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि गर्भावस्था का सुरक्षित प्रसव ही इस मामले में उचित रहेगा।नाबालिग के गर्भपात की याचिका खारिज