रायपुर

छत्तीसगढ़ भू-घोटाला: 4 महीने से दफ्तरों के चक्कर काट रहा सरपंच, भू-माफिया पर मेहरबान तहसील प्रशासन!

खपराडीह/रायपुर: छत्तीसगढ़ भू-घोटाला: 4 महीने से दफ्तरों के चक्कर काट रहा सरपंच, छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक सुस्ती और भू-माफिया के गठजोड़ का एक बड़ा मामला सामने आया है। ग्राम खपराडीह में 13 लोगों ने बेशकीमती सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा जमा लिया है, लेकिन पिछले चार महीनों से सरपंच से लेकर अधिकारी तक बेबस नजर आ रहे हैं। सरपंच गजेंद्र वर्मा न्याय के लिए तहसील और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं, पर नतीजा सिफर है।

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विकास पर अतिक्रमण का ताला

यह कोई मामूली जमीन नहीं है। ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड के अनुसार, यह भूमि धान खरीदी केंद्र, बच्चों के लिए खेल के मैदान और अन्य सार्वजनिक भवनों के निर्माण के लिए आरक्षित की गई है। लेकिन अतिक्रमणकारियों ने यहां अवैध निर्माण करने के साथ-साथ कचरा फेंककर और कांटे लगाकर पूरी जमीन को बंधक बना लिया है। सरपंच ने अपनी ओर से कब्जाधारियों को तीन बार नोटिस भेजा और गांव में मुनादी भी कराई, लेकिन इन दबंगों पर कोई असर नहीं हुआ।छत्तीसगढ़ भू-घोटाला: 4 महीने से दफ्तरों के चक्कर काट रहा सरपंच

मंत्री का पैसा भी हुआ बेकार, रुका सामुदायिक भवन का काम

मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने इसी भूमि पर एक सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए 6.30 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की थी। लेकिन जमीन पर अवैध कब्जे के चलते यह महत्वपूर्ण निर्माण कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है, और सरकारी पैसा जस का तस अटका पड़ा है।छत्तीसगढ़ भू-घोटाला: 4 महीने से दफ्तरों के चक्कर काट रहा सरपंच

जांच के नाम पर सिर्फ टालमटोल का खेल?

जब मामला जिला पंचायत सभापति ईशान वैष्णव के संज्ञान में आया, तो उन्होंने सरपंच के साथ तहसीलदार कार्यालय पहुंचकर तत्काल कार्रवाई की मांग की। दबाव बढ़ता देख तहसीलदार किशोर कुमार वर्मा ने पांच सदस्यीय जांच टीम (जिसमें एक राजस्व निरीक्षक और चार पटवारी शामिल हैं) गठित कर दी। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि यह सिर्फ मामले को टालने की एक रणनीति है।छत्तीसगढ़ भू-घोटाला: 4 महीने से दफ्तरों के चक्कर काट रहा सरपंच

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तहसीलदार खुद मौके का मुआयना कर चुके हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे उनकी कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि हाल ही में मामले की अगली सुनवाई एक महीने बाद की तारीख पर टाल दी गई, और यह फैसला तहसीलदार की अनुपस्थिति में एक बाबू (हेमलता ध्रुव) द्वारा लिया गया, जो कथित तौर पर पिछले तीन साल से इसी तहसील में जमे हुए हैं।छत्तीसगढ़ भू-घोटाला: 4 महीने से दफ्तरों के चक्कर काट रहा सरपंच

राजनीतिक संरक्षण का आरोप

सरपंच ने 22 मई को कब्जा हटाने के लिए पहला आवेदन दिया था, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है। ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि कब्जाधारियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण तहसीलदार जानबूझकर मामले को लटका रहे हैं और सुनवाई को लगातार टाल रहे हैं। अब ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही न्याय नहीं मिला, तो वे उच्च अधिकारियों के सामने इस पूरे मामले को उठाएंगे।छत्तीसगढ़ भू-घोटाला: 4 महीने से दफ्तरों के चक्कर काट रहा सरपंच

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