छत्तीसगढ़: बिना तलाक दूसरी शादी करना CMO को पड़ा भारी, महिला आयोग ने की निलंबन की सिफारिश
जांजगीर-चांपा: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) द्वारा अपनी पहली पत्नी को बिना तलाक दिए अपनी ही बेटी की उम्र की युवती से दूसरा विवाह करने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में राज्य महिला आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए आरोपी अधिकारी के निलंबन की अनुशंसा जिला कलेक्टर से की है। बिना तलाक दूसरी शादी करना CMO को पड़ा भारी
पहली पत्नी की शिकायत पर महिला आयोग की त्वरित कार्रवाई
पीड़ित पहली पत्नी ने राज्य महिला आयोग में गुहार लगाते हुए बताया कि उनके पति, जो वर्तमान में एक मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, ने उन्हें तलाक दिए बिना ही एक अन्य महिला से विवाह कर लिया है। बिना तलाक दूसरी शादी करना CMO को पड़ा भारी
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आरोपी अधिकारी का कबूलनामा: सुनवाई के दौरान सीएमओ ने स्वयं आयोग के समक्ष यह स्वीकार किया कि उन्होंने पहली पत्नी से कानूनी तौर पर अलग हुए बिना दूसरा विवाह किया है।
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पारिवारिक पृष्ठभूमि: जानकारी के अनुसार, सीएमओ की दूसरी पत्नी से दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र क्रमशः 16 वर्ष और 3 वर्ष है। वहीं, पहली पत्नी से उनके तीन वयस्क बच्चे हैं, जिनकी आयु 41, 40 और 38 वर्ष है।
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उपेक्षा का आरोप: पहली पत्नी के बच्चों ने आयोग को यह भी बताया कि उनके पिता पिछले 15 वर्षों से उनसे अलग रह रहे हैं और उनकी मां को किसी भी प्रकार का भरण-पोषण भत्ता नहीं दे रहे हैं। यह भी आरोप लगाया गया कि दूसरी महिला उनके पिता के बच्चों की उम्र की है।
राज्य महिला आयोग का कड़ा रुख और टिप्पणी
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के नेतृत्व में हुई सुनवाई में आयोग ने पाया कि:
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जिम्मेदार पद का दुरुपयोग: आरोपी सीएमओ एक जिम्मेदार सरकारी पद पर हैं और शासकीय नियमों से भली-भांति परिचित हैं।
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कानूनी उल्लंघन: इसके बावजूद, उन्होंने अपनी पहली पत्नी (आवेदिका) को बिना तलाक दिए दूसरा विवाह कर गंभीर कदाचार किया है, जो कि कानूनी रूप से भी मान्य नहीं है।
निलंबन और अन्य कठोर कार्रवाई की अनुशंसा
मामले की गंभीरता को देखते हुए, राज्य महिला आयोग ने जांजगीर के जिला कलेक्टर को सीएमओ के तत्काल निलंबन की अनुशंसा करते हुए पत्र भेजने का निर्णय लिया है। बिना तलाक दूसरी शादी करना CMO को पड़ा भारी
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सेवानिवृत्ति लाभों पर रोक: इसके अतिरिक्त, आयोग ने यह भी अनुशंसा की है कि प्रकरण के अंतिम निपटारे और सीएमओ के संपूर्ण शासकीय सेवा रिकॉर्ड की जांच होने तक, उनके सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले सभी लाभों (जैसे पेंशन, ग्रेच्युटी आदि) की प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए।
निष्कर्ष: शासकीय अधिकारियों के लिए कड़ा संदेश
यह मामला सरकारी अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत जीवन में कानूनी और नैतिक सीमाओं के उल्लंघन पर महिला आयोग की सक्रियता और गंभीरता को दर्शाता है। आयोग का यह कदम ऐसे मामलों में एक कड़ा संदेश देने का प्रयास है, ताकि भविष्य में कोई भी जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति इस प्रकार के कृत्य करने से पहले सोचे। प्रकरण की जांच जारी है और अंतिम निर्णय आने पर ही स्थिति पूर्ण रूप से स्पष्ट होगी। बिना तलाक दूसरी शादी करना CMO को पड़ा भारी