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लखनऊ के चारक हॉस्पिटल का खौफनाक सच: मृत मरीज का 5 दिन तक चला ‘इलाज’, NHRC ने DM को भेजा समन

लखनऊ के चारक हॉस्पिटल का खौफनाक सच: मृत मरीज का 5 दिन तक चला ‘इलाज’, NHRC ने DM को भेजा समन

लखनऊ के चारक हॉस्पिटल का खौफनाक सच: मृत मरीज का 5 दिन तक चला ‘इलाज’, लखनऊ की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक ऐसा दाग लगा है, जिसने इंसानियत और मेडिकल नैतिकता, दोनों को शर्मसार कर दिया है। ठाकुरगंज स्थित चारक हॉस्पिटल पर आरोप है कि उसने एक मृत युवक को पांच दिनों तक वेंटिलेटर पर “जिंदा” बताकर उसके परिवार से लाखों रुपये की वसूली की। इस दिल दहला देने वाले मामले में अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कड़ा रुख अपनाते हुए लखनऊ के जिलाधिकारी (DM) को तलब किया है।

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इलाज के नाम पर धोखा: क्या है पूरा मामला?

यह खौफनाक कहानी महाराष्ट्र के ठाणे निवासी शिकायतकर्ता आसिफ आबिद खान ने NHRC के सामने रखी। उनके अनुसार, विषाल पांडे नामक एक युवक को डेंगू के इलाज के लिए चारक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। आरोप है कि 23 अक्टूबर 2024 को ही विषाल की मृत्यु हो गई थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने यह सच्चाई परिवार से छिपाई।लखनऊ के चारक हॉस्पिटल का खौफनाक सच: मृत मरीज का 5 दिन तक चला ‘इलाज’

अस्पताल पांच दिनों तक इलाज का झूठा नाटक करता रहा, बिल बनाता रहा और परिवार से पैसे वसूलता रहा। इस अमानवीय खेल का पर्दाफाश तब हुआ, जब शक होने पर परिवार ने जबरन कमरे में प्रवेश किया और विषाल के शव को देखा, जिसे अस्पताल अब तक ‘इलाजरत’ बता रहा था।लखनऊ के चारक हॉस्पिटल का खौफनाक सच: मृत मरीज का 5 दिन तक चला ‘इलाज’

एक परिवार का दोहरा दर्द: आर्थिक और भावनात्मक शोषण

यह घटना केवल मेडिकल लापरवाही का मामला नहीं है, बल्कि एक परिवार के भावनात्मक और आर्थिक शोषण की क्रूर कहानी है। एक तरफ जहां परिवार अपने प्रियजन को खोने के गम में डूबा था, वहीं दूसरी ओर अस्पताल उनसे झूठी उम्मीदें दिखाकर उनकी जेब खाली कर रहा था। इस धोखे ने पीड़ित परिवार को गहरे मानसिक आघात में धकेल दिया है।लखनऊ के चारक हॉस्पिटल का खौफनाक सच: मृत मरीज का 5 दिन तक चला ‘इलाज’

जब प्रशासन ने साधी चुप्पी: NHRC ने लिया कड़ा संज्ञान

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। आयोग के अनुसार:

  • 21 जनवरी 2025: सबसे पहले लखनऊ के डीएम से रिपोर्ट मांगी गई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

  • 27 मार्च 2025: एक रिमाइंडर भेजा गया, लेकिन प्रशासन की तरफ से फिर भी चुप्पी साधे रखी गई।

प्रशासन के इस ढुलमुल रवैये के बाद, NHRC ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 13(1) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिलाधिकारी को शर्तीय समन जारी किया है। उन्हें 1 सितंबर 2025 को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया गया है, बशर्ते कि वे 21 अगस्त तक मामले की पूरी रिपोर्ट जमा न कर दें।लखनऊ के चारक हॉस्पिटल का खौफनाक सच: मृत मरीज का 5 दिन तक चला ‘इलाज’

न्याय की गुहार: शिकायतकर्ता ने की यह प्रमुख मांगें

शिकायतकर्ता आसिफ खान न्याय के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने NHRC से मांग की है कि:

  • चारक हॉस्पिटल के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज कर आपराधिक जांच शुरू हो।

  • इस अमानवीय कृत्य के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों और प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई की जाए।

  • पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिलाया जाए।

  • भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निजी अस्पतालों पर नकेल कसने हेतु कड़े नियम बनाए जाएं।

यह मामला सवाल उठाता है कि क्या कुछ निजी अस्पतालों के लिए इंसान की जान से बढ़कर पैसा हो गया है? जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो मरीज और उनके परिवार आखिर किस पर भरोसा करें? अब सभी की निगाहें NHRC की कार्रवाई और प्रशासन के जवाब पर टिकी हैं।लखनऊ के चारक हॉस्पिटल का खौफनाक सच: मृत मरीज का 5 दिन तक चला ‘इलाज’

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