सीजेआई ने जजों को दी नसीहत: “न्याय देने में कॉमन सेंस का इस्तेमाल करें”
बेंगलुरु। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने ट्रायल कोर्ट के जजों से आग्रह किया कि वे निडर होकर अपना कर्तव्य निभाएं और सुनिश्चित करें कि लोगों को निष्पक्ष और समय पर न्याय मिले। उन्होंने कहा कि कई मामलों में लोगों को ट्रायल कोर्ट में ही जमानत मिल जानी चाहिए, लेकिन उन्हें नहीं मिलती, जिससे उन्हें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ता है।
ट्रायल कोर्ट की भूमिका महत्वपूर्ण
CJI चंद्रचूड़ ने नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु में आयोजित 11वें वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज जमानत देने में हिचकिचाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जमानत देने में कोई जोखिम नहीं है और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
ट्रायल कोर्ट पर भरोसा जरूरी
उन्होंने कहा कि निचली अदालतों पर लोगों का विश्वास होना बहुत जरूरी है। नार्कोटिक्स केस का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि आरोपी का असली रोल क्या था। क्या वह ड्राइवर, क्लीनर या ट्रक का मालिक था? न्याय देने में यह समझना महत्वपूर्ण है कि आरोपी का क्या भूमिका थी।
न्यायिक प्रणाली में सुधार की जरूरत
सीजेआई ने कहा कि न्याय देना गेहूं से भूसे को अलग करने की तरह है और जजों को कॉमन सेंस का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जजों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे लोगों की समस्याओं को सुनें और न्याय करें।
निष्पक्ष न्याय का महत्व
उन्होंने कहा कि लोगों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार करने के बाद, उन्हें न्याय पाने में बहुत कठिनाई होती है। सीजेआई ने कहा कि जजों को निष्पक्ष और समय पर न्याय देने में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, ताकि न्यायिक प्रणाली पर लोगों का विश्वास बना रहे।
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