रायपुर l: मेरठ की स्पेशल कोर्ट ने शराब घोटाला मामले के आरोपी अनवर ढेबर और अन्य को सशर्त रिहाई के आदेश दिए हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने नकली होलोग्राम केस में दर्ज एफआईआर पर रोक लगा दी है, लेकिन स्पेशल कोर्ट के आदेश के बावजूद अनवर ढेबर और अन्य आरोपियों की रिहाई संभव नहीं हो पाएगी। इसका मुख्य कारण ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) में दर्ज अन्य मामलों की वजह से है।कोर्ट के आदेश के बाद भी अनवर ढेबर की सशर्त रिहाई नहीं
ईडी के आरोप और रिहाई में रुकावट
शराब घोटाले की जड़ें: ईडी के मुताबिक, अनवर ढेबर ने छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग में मंत्री के रूप में अपनी हैसियत का दुरुपयोग किया। उसने सरकारी शराब दुकानों से बेहिसाब शराब की बिक्री को बढ़ावा दिया।
डुप्लीकेट होलोग्राम की साजिश: जांच में यह भी खुलासा हुआ कि अरुणपति त्रिपाठी ने उन जिलों के आबकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध शराब बिक्री के निर्देश दिए, जहां शराब की अधिक बिक्री होती थी। इसके अलावा, उसने विधु गुप्ता के साथ मिलकर नकली होलोग्राम की व्यवस्था भी की थी, जिससे अवैध शराब की बिक्री को बढ़ावा मिला।
रिहाई पर रोक की वजह
ईडी और एसीबी के केस: ईडी और एसीबी द्वारा दर्ज मामलों के चलते, भले ही स्पेशल कोर्ट ने सशर्त रिहाई के आदेश दिए हों, लेकिन इन गंभीर मामलों की वजह से अनवर ढेबर की रिहाई नहीं हो पाएगी।
इस घटनाक्रम ने साफ कर दिया है कि बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार के मामलों में कानूनी प्रक्रिया बेहद जटिल और लंबी हो सकती है, जहां एक मामले में रिहाई का आदेश आ भी जाए, तब भी अन्य मामलों की वजह से रिहाई संभव नहीं हो पाती।कोर्ट के आदेश के बाद भी अनवर ढेबर की सशर्त रिहाई नहीं