पत्थलगांव: तहसील कार्यालय के विवादों में एक नया मामला उजागर हुआ है। भू माफियाओं ने अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से आदिवासी भूमि को कूटरचना द्वारा सामान्य भूमि में बदल दिया। यह मामला पत्थलगांव नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 07 की खसरा नंबर 333/1 भूमि से जुड़ा है। पत्थलगांव में आदिवासी भूमि को सामान्य करने की साजिश का पर्दाफाश
भूमि विवाद की पृष्ठभूमि
1956 में तेजराम और बोधराम (पनिका जाति) ने यह भूमि जोहन मिंज और लुईस खेस (उरांव जाति) को बेची थी। 1957 में लुईस खेस का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया गया, लेकिन जोहन मिंज का नाम नहीं जोड़ा गया। मिंज ने इसे लेकर न्यायालय में कई प्रकरण चलाए, लेकिन हर बार लुईस खेस का नाम सही ठहराया गया। पत्थलगांव में आदिवासी भूमि को सामान्य करने की साजिश का पर्दाफाश
67 वर्षों बाद हुई संदिग्ध अपील
2024 में गंभीर दास नामक व्यक्ति ने अपने आपको तेजराम का वंशज बताते हुए पुराने नामांतरण आदेश को निरस्त करने की अपील की। यह अपील समय सीमा समाप्त होने और कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना स्वीकार कर ली गई। अधिकारियों ने केवल शपथ पत्र के आधार पर फैसला सुनाया। पत्थलगांव में आदिवासी भूमि को सामान्य करने की साजिश का पर्दाफाश
कूटरचना और गड़बड़ियां
- नामांतरण रद्द कर आदिवासी भूमि को सामान्य बनाया:
जून 2024 में अनुविभागीय अधिकारी ने पुराने नामांतरण आदेश को निरस्त कर दिया। जुलाई 2024 में तत्कालीन पटवारी ने भूमि रिकॉर्ड में तेजराम और बोधराम का नाम जोड़ दिया।
- दावा-आपत्ति प्रक्रिया की अनदेखी:
दावा-आपत्ति के लिए निर्धारित तिथि 25 जुलाई से पहले ही रिकॉर्ड में गंभीरदास और अन्य का नाम जोड़ दिया गया।
- जालसाजी के जरिए विक्रय पंजीकरण:
विक्रय अनुमति का मामला लंबित होने के बावजूद, गंभीरदास ने भूमि का पंजीकरण सुरेश यादव के नाम करा दिया। पत्थलगांव में आदिवासी भूमि को सामान्य करने की साजिश का पर्दाफाश
जांच और निष्कर्ष
साजी लियोनार्ड, जो भूमि के वर्तमान रिकॉर्ड में थे, ने जांच के बाद अपने आवेदन वापस ले लिया। कलेक्टर ने विक्रय अनुमति खारिज कर दी। इसके बावजूद, तहसील अधिकारियों ने समानांतर प्रकरण चलाया और माफियाओं को लाभ पहुंचाया। पत्थलगांव में आदिवासी भूमि को सामान्य करने की साजिश का पर्दाफाश
प्रशासनिक कार्रवाई की मांग
इस मामले में भू माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत साफ दिखाई देती है। आदिवासी भूमि पर इस प्रकार की धोखाधड़ी आदिवासी समुदाय के अधिकारों पर गहरी चोट है। प्रशासन को तत्काल प्रभाव से इस मामले की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। पत्थलगांव में आदिवासी भूमि को सामान्य करने की साजिश का पर्दाफाश