नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में एक महिला वकील सैयद ऐनैन कादरी के हिजाब पहनकर अदालत में पेश होने पर विवाद हो गया। अदालत ने भारतीय बार काउंसिल (BCI) के नियमों का हवाला देते हुए महिला वकील के चेहरा ढकने के अधिकार को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट में हिजाब पहनने पर विवाद: महिला वकील के मौलिक अधिकार का दावा खारिज
घटना का विवरण
यह मामला 27 नवंबर को घरेलू हिंसा से संबंधित एक याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया। महिला वकील ने अदालत में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया लेकिन चेहरा ढकने के कारण न्यायाधीशों ने उसकी पहचान पर सवाल उठाया। कोर्ट में हिजाब पहनने पर विवाद: महिला वकील के मौलिक अधिकार का दावा खारिज
न्यायालय का रुख:
- न्यायमूर्ति राहुल भारती ने महिला वकील से चेहरा दिखाने का अनुरोध किया।
- वकील ने इसे अपना मौलिक अधिकार बताते हुए इनकार कर दिया।
- न्यायालय ने कहा कि चेहरा ढकने के कारण वकील की पहचान की पुष्टि नहीं हो सकती।
इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी कि क्या महिला वकील को चेहरा ढकने की अनुमति है। कोर्ट में हिजाब पहनने पर विवाद: महिला वकील के मौलिक अधिकार का दावा खारिज
रिपोर्ट का निष्कर्ष
5 दिसंबर को रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय ने बताया:
- भारतीय बार काउंसिल (BCI) के नियमों में महिला वकीलों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित है।
- इन नियमों में चेहरा ढकने की अनुमति का कोई प्रावधान नहीं है।
- अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया कि चेहरा ढकने का अधिकार मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है। कोर्ट में हिजाब पहनने पर विवाद: महिला वकील के मौलिक अधिकार का दावा खारिज
अंतिम निर्णय:
13 दिसंबर को अदालत ने याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधित्व के लिए एक नए वकील की अनुमति दी और महिला वकील के मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट में हिजाब पहनने पर विवाद: महिला वकील के मौलिक अधिकार का दावा खारिज