रोड निर्माण के दौरान जमकर किया गया अवैध मुरूम उत्खनन एवम परिवहन
माइनिंग, राजस्व एवम जिला प्रशासन बने रहे मूकदर्शक
जब-जब कलेक्टर के पास शिकायत होता है तब इनके इंजीनियरिंग का डिग्री का पोल खुलता है?
NCG News desk Gariyaband :-
मुड़ागांव से पांडुका क्षेत्र में एडीबी प्रोजेक्ट के तहत रोड चौड़ीकरण का काम चल रहा है,। सबसे पहले इनका काम ग्राम खड़मा में चालू हुआ। वाला पर अनियमितता साफ साफ देखने को मिली जैसे – पहले वहां मिट्टी डालें,, फिर वहां के स्थानीय ग्रामवासियों द्वारा शिकायत किया गया, तब परियोजना अधिकारी को होश आया फिर वहा से मिट्टी को खोद डालें। खोदने के बाद फिर मिट्टी डालें। उसके बाद नाली बनाएं। अब इनके इंजीनियरिंग का दुष्परिणाम यह हुआ किग्राम खड़मा में क्रिकेट मैदान, धान मंडी के पास रोड इतना ज्यादा ऊंचा हो गया कि रोड पर बैलगाड़ी तक चढ़ना मुश्किल हो गया है वाहन भी बड़ी मुश्किल से रोड पर चढ़ रहा है और यही स्थिति जिला सहकारी बैंक के पास भी है। इनके प्रोजेक्ट के रोड में ऊपर चढ़ने के लिए मोटरसाइकिल को फर्स्ट गेयर में लाना पड़ता है। अब ग्राम खड़मा वालों को धीरे धीरे समझ में आ गया कि यह इंजीनियर साहब लोग किस यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग किए होंगे। एसी ऑफिस में बैठे-बैठे पूरा रोड का एस्टीमेट बना लिए। ठेकेदार को कैसे भी हो काम देना है, दे दिए। पर यह आंकलन नही किए कि रोड ठेकेदार काम को किस तरह से अंजाम दे रहे है।
यदि इस तरह की लापरवाही में ठेकेदार की कोई गलती नहीं है, तो गलती किसकी है? फिर रोड में आने वाला इसके आगे का गांव रानीपरतेवा!! खड़मा में जो लापरवाही किए वहां जो कमियां सामने आई थी क्या उसको ध्यान में रखते हुए,अपने कामों में कुछ सुधार किए? ग्राम रानीपरतेवा में जो दुकान और मकान के रोड किनारे वाले को ऊंचा हो गए इनके लेवल में नाली के लेबल में नहीं आया।
इनका एडीबी प्रोजेक्ट रोड गड्ढा हो गया और दुकान और मकान ऊंचा हो गया, लेकिन ग्राम करकरा जाने वाला रास्ता बहुत ऊंचा हो गया था, वाहन वहां से चढ़ नहीं रहा था फिर उस गांव वाले कलेक्टर के पास शिकायत किए तब, वहां के मिट्टी को खोदकर के बाहर फेंके तब इनके रोड के लेवल में आया। लेकिन ग्राम करकरा जाने वाला रास्ता बहुत ऊंचा हो गया था। इसके बाद ग्राम मड़ेली में जहां नाली नहीं बनाना है वहां नाली बना दिए है जहां बनाना चाहिए वहां नहीं बना रहे हैं। बाजार के पास, मड़ेली बस स्टैंड के पास, नाली को अधूरा छोड़ दिए, पानी कहां जाएगा कोई पता नहीं बगल की दुकान में जाएगा एवं कमारपारा (चटानपारा )जाने वाला रास्ता बहुत ऊंचा हो गया है। गाड़ी मोटर मुश्किल से चढ़ रहा है वहां मुरूम डालना चाहिए पर ठेकेदार लोग कह रहे हैं यह हमारे इस्टटीमेट में नहीं है। वहां पर इनका प्रोजेक्ट वाला रोड 10 फीट ऊंचा हो गया जहा पर कुछ मुरूम डालकर के खानापूर्ति कर दी है ।
रोड किनारे डाला गया मुरूम पानी से बह करके किसानों को खेतों में जा रहा है। काम करते समय खेतों में जो मुरूम है अभी भी उठाया नहीं गया है, एस्टीमेट देखो तो 1 किलोमीटर में 2 करोड़ से ज्यादा लागत लग रहा है, पैसा तो बहुत है, मिट्टी और मुरूम रेत फोकट में मिल रहा है फिर भी इतना लागत क्यों लग रहा है। क्या माइनिंग विभाग के पास इनका पैसा जा रहा है और कितना जा रहा है?


जो पैसा सिस्टम के हिसाब से ट्रेजरी में जाना चाहिए जा रहा है या नहीं? अब चौक चौराहों में रोड कंप्लीट होने के बाद सीसीटीवी कैमरा लगना चाहिए लगेगा या नहीं। जब कैमरा ही नहीं रहेगा तो इस रोड में होने वाली सड़क दुर्घटना, अपराधिक वारदात का कैसे पता चलेगा। मड़ेली पंचायत के रोड किनारे जो प्रवेश द्वार था गेट एवं बाजार शेड का बहुत पैसा मिला है, वह पैसा जन सुरक्षा मूलभूत आवश्यकता में खर्च होना चाहिए।
जब कोई भी पुल,पुलिया, रोड बनता है स्थानीय नेता कहते हैं कि यह हमारा है हम बनवा रहे हैं और जब पुल पुलिया टूटता है तब कई सारी खामियां नजर आती है, तो कहते हैं कि या केंद्र सरकार का काम है, राज्य सरकार के नेता को पूछो तो कहते हैं केंद्र सरकार का है, और यही राजनीति है मीठा-मीठा हमारा, कड़वा कड़वा तुम्हारा।
रोड बनाने में इतनी देरी कैसे हुई
इस प्रोजेक्ट का 2019 में टेंडर हुआ था टेंडर के हिसाब से रोड 2021 में कंप्लीट हो जाना था। अभी 2023 चल रहा है और ऐसा लगता है 2024 तक यह रोड कंप्लीट नहीं होगा। सरकारी नियमो के मुताबिक ठेकेदार यदि समय पर काम पूरा नहीं कर पाते है तो ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जा सकता है, पेनल्टी भी लगती है इस प्रकरण में क्या हुआ है यह जानता की समझ से परे है। ठेका कंपनी के मुताबिक प्रोजेक्ट एरिया में फॉरेस्ट का भी एरिया आ रहा था फॉरेस्ट विभाग एनओसी नहीं दे रहा था इस कारण काम में देरी हुई तो इसके लिए जिम्मेदार कौन हुआ; फॉरेस्ट विभाग ?? तो फॉरेस्ट विभाग पर पेनाल्टी कौन लगाएगा? इनको क्या एक दूजे का हवाला देकर अपनी मनमानी कर रहे है। जिसका खामियाजा छत्तीसगढ़ की भोली भाली जनता को भुगतना पढ़ रहा है।
धड़ल्ले से काट दिए सैकड़ो हरे भरे पेड़
इस रोड में लोग 1999 से साइकिल चला रहे हैं, उस समय रोड कच्ची थी। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के समय प्रधानमंत्री सड़क योजना लागू हुआ तब पक्का रोड का निर्माण हुआ। लेकिन उस समय रोड बनने पर रोड किनारे का कोई पेड़ नहीं काटा गया था। अब पेड़ धड़ल्ले से काट दिए गए इतना ही नहीं काट कर बेंच भी दिए जिनकी जानकारी वन विभाग को भी नही है। क्या अब सड़क बनाने वाली कंपनी को पेड़ लगाना चाहिए या नहीं? जितने पेड़ काटे हैं उससे दोगुना पेड़ लगाना चाहिए या नहीं?
कब तक होगा रोड का निर्माण
इस प्रोजेक्ट का 2019 में टेंडर हुआ था टेंडर के हिसाब से रोड 2021 में कंप्लीट हो जाना था। अभी 2023 चल रहा है लेकिन रोड का निर्माण बड़ी मुश्किल से आधा ही हो पाया है। न जाने इस रोड को बनने में कितने साल और लग जायेंगे? जिला कलेक्टर को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए।