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मनोज जायसवाल/लखनपुरी
कांकेर। कांकेर जिले के तहसील मुख्यालय नरहरपुर में आज कई घंटों से बंद है, बिजली। गर्मी और उमस से परेशान लोग सड़कों पर टहलने निकल पडे हैं।(CSPDCL News)
देश में विधुत उत्पादक राज्य के अग्रणी पंक्ति में खडे छत्तीसगढ़ प्रदेश में मार्च में ही लगातार विधुत की कटौती से लोग हलाकान हो गये हैं। नक्सल प्रभावित क्षेेत्र बस्तर संभाग में विधुत कटौतियों में नहीं किये जाने का नियम बनाया गया था,जिसे भी धता बताया जा रहा है। (CSPDCL News)
दिन में कई बार कई घंटे बिजली बंद हो रही है,जिसके चलते गर्मी में धान की फसल का बुरा हाल है। किसानों के खेतों में दरारें आ गई है। किसानों का हितैषी बनने का हमेशा तमगा लिए फिरती सरकार क्या इस तरह बेसमय उस वक्त बिजली बंद कर अच्छे दिन दिखा रही है,जहां ऐन बच्चों की परीक्षा अवधि में एकाग्रता को भंग किया जा रहा है।(CSPDCL News)
विधुत उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ में तो पूर्व से ही भरपूर बिजली मिलती रही है। यहां लोग कटौती से ढंग से वाकिफ भी नहीं थे, लेकिन इसे अन्य उन राज्यों की श्रेणी में आ गया है,जहां बिजली की कटौतियां होती रही है।(CSPDCL News)
सबसे मुख्य बात कि बिजली कटौती का एक निश्चित समय भी निर्धारित नहीं है। कई गांव में तो आधीरात से बंद बिजली दूसरी दिन आ रही है। किसानों,बच्चों सहित आम नागरिकों का इस भरी गर्मी में जहां मच्छर कीट के बीच जंगली जानवरों के डर के साए में किस तरह रतजगा कर रात बिता रहे हैं, इसकी चिंता किसे है? विपक्ष भी मौन है! (CSPDCL News)
बिजली कटौती एवं लौ-वोल्टेज पर जनप्रतिनिधियों के समक्ष कुछ आवाज भी उठाए तो भी तो कुछ असर नहीं पड रहा है!
आज आम लोग आज असमय बिजली बंद होने के चलते बेबस है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है, कि वे करें तो करें क्या? बिजली की यह समस्या हर क्षेत्र में व्याप्त है।किसानों के खेतो में दरारें देखने से ऐसा लग रहा है कि इस बार गर्मी की फसल में घाटा ही होना है।(CSPDCL News)
कुल मिलाकर अग्रणी बिजली उत्पादक राज्य छत्तीसगढ में मार्च महीने में ही इस प्रकार हाहाकार हो सकती है,इसकी शायद किसी ने परिकल्पना ही नहीं की थी। बिजली की सबको जरूरत है। इसे राजनीति का विषय कभी नहीं बनायी जाना चाहिए। (CSPDCL News)