कोरबा में सिंचाई योजना पर भ्रष्टाचार का साया: पौने तीन करोड़ की नहर बनते ही टूटने लगी, जांच की मांग

कोरबा में सिंचाई योजना पर भ्रष्टाचार का साया: पौने तीन करोड़ की नहर बनते ही टूटने लगी, जांच की मांग
कोरबा/पाली: कोरबा में सिंचाई योजना पर भ्रष्टाचार का साया: पौने तीन करोड़ की नहर बनते ही टूटने लगी, छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में किसानों के लिए बनी एक महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोपों से घिर गई है। पाली जल संसाधन उपसंभाग द्वारा सेन्द्रीपाली बांध से निकाली जा रही माइनर नहर के सीसी लाइनिंग कार्य में बड़े पैमाने पर धांधली का मामला सामने आया है। करीब 2.76 करोड़ रुपये की इस परियोजना में घटिया निर्माण को लेकर क्षेत्र की जनपद सदस्य और किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत से सरकारी पैसे की लूट हो रही है और किसान हितैषी योजना को बर्बाद किया जा रहा है।
क्या हैं भ्रष्टाचार के मुख्य आरोप?
क्षेत्र क्रमांक-12 की जनपद सदस्य श्रीमती संगीता सूरज कोराम और स्थानीय किसानों ने निर्माण कार्य पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, यह निर्माण गुणवत्ता के मानकों को ताक पर रखकर किया जा रहा है:
घटिया रेत का इस्तेमाल: निर्माण में अच्छी गुणवत्ता वाली रेत की जगह आसपास के नदी-नालों से निकाली गई बजरी युक्त और गाद वाली रेत का उपयोग किया जा रहा है। ऐसी रेत पक्के निर्माण की मजबूती को कमजोर करती है।
गलत ग्रेड की सीमेंट: आरोप है कि नहर जैसी मजबूत संरचना के लिए आवश्यक 53-ग्रेड सीमेंट की जगह 43-ग्रेड जेके लक्ष्मी सीमेंट का इस्तेमाल हो रहा है, वह भी कम मात्रा में। 43-ग्रेड सीमेंट का उपयोग आमतौर पर छोटे आवासीय निर्माण या प्लास्टर के लिए होता है, जो नहर के तेज पानी का बहाव नहीं झेल सकती।
निर्माण में पारदर्शिता की कमी: सरकारी नियमों के अनुसार, हर निर्माण स्थल पर एक सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य है, जिसमें परियोजना की लागत, ठेकेदार का नाम और अधिकारियों की जानकारी होती है। लेकिन यहां ऐसा कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिससे भ्रष्टाचार की मंशा साफ जाहिर होती है।
किसानों और जनप्रतिनिधि ने जताई चिंता
जनपद सदस्य श्रीमती कोराम ने चिंता जताते हुए कहा, “यह नहर बनते ही टूटने और दरकने लगी है। अगर निर्माण की गुणवत्ता ऐसी ही रही तो यह पहली बरसात भी नहीं झेल पाएगी। इससे न केवल शासन का पैसा बर्बाद होगा, बल्कि नहर टूटने से किसानों की फसलें भी चौपट हो सकती हैं।” किसानों को जिस नहरी पानी से उम्मीदें थीं, वह अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।कोरबा में सिंचाई योजना पर भ्रष्टाचार का साया: पौने तीन करोड़ की नहर बनते ही टूटने लगी
अधिकारी की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में
इस पूरे मामले में जल संसाधन उपसंभाग पाली के अनुविभागीय अधिकारी (SDO) एस.पी. टुंडे की भूमिका भी संदिग्ध है। आरोप है कि SDO मुख्यालय में रहने की बजाय 50-55 किलोमीटर दूर रहते हैं और सप्ताह में केवल एक-दो दिन ही कार्यालय आते हैं। उनकी अनुपस्थिति के कारण न केवल विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि भूमि अधिग्रहण और मुआवजे जैसे मामलों के लिए किसान दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं। जब इस संबंध में उनसे प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, तो वे कार्यालय में उपलब्ध नहीं मिले।कोरबा में सिंचाई योजना पर भ्रष्टाचार का साया: पौने तीन करोड़ की नहर बनते ही टूटने लगी
किसानों और जनप्रतिनिधि ने जिला प्रशासन से तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करने और निर्माण में इस्तेमाल हो रही सामग्री की जांच कराने की मांग की है, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके और किसानों के हक को बचाया जा सके।कोरबा में सिंचाई योजना पर भ्रष्टाचार का साया: पौने तीन करोड़ की नहर बनते ही टूटने लगी









