विकास के नाम पर विनाश: चाकाबूड़ा ACB प्लांट ने उगला ‘जहर’, नदियां राख से काली, ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को मोहताज

कोरबा: विकास के नाम पर विनाश: चाकाबूड़ा ACB प्लांट ने उगला ‘जहर’, एक तरफ जहां सरकार “एक पेड़ माँ के नाम” जैसे अभियानों के जरिए करोड़ों रुपये खर्च कर छत्तीसगढ़ को हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प ले रही है, वहीं दूसरी ओर कोरबा जिले का चाकाबूड़ा स्थित एसीबी (ACB) लिमिटेड पावर प्लांट इन सभी कोशिशों पर पानी फेर रहा है। विकास की आड़ में यह प्लांट क्षेत्र में प्रदूषण का ऐसा जानलेवा कॉकटेल बांट रहा है, जिससे ग्रामीणों का जीवन नरक बन गया है।
नदियों में घुलता राखड़ का जहर
ACB पावर प्लांट से निकलने वाला कोयला मिश्रित गंदा पानी और राखड़ (फ्लाई ऐश) सीधे सलिहा नाले के माध्यम से खोलार नदी में बहाया जा रहा है। इस जहरीले बहाव ने नदी के पानी को पूरी तरह काला और प्रदूषित कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस पानी के कारण त्वचा रोग, पेट की बीमारियां और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन कंपनी प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन दोनों ही आंखें मूंदकर बैठे हैं।विकास के नाम पर विनाश: चाकाबूड़ा ACB प्लांट ने उगला ‘जहर’
प्रदूषण की चपेट में कई गांव, सूखे पड़े हैं नल
इस जानलेवा प्रदूषण का असर केवल एक-दो गांवों तक सीमित नहीं है। सूत्रों के अनुसार, देवरी, कोराई, पुरेना, मड़वाडोडा, गंगानगर और प्रेमनगर सहित आस-पास के कई गांव इसकी सीधी चपेट में हैं। चिंता की बात यह है कि यह प्रदूषित पानी अंततः जीवनदायिनी हसदेव नदी में जाकर मिल रहा है, जिससे एक बड़े क्षेत्र में जल संकट और प्रदूषण का खतरा कई गुना बढ़ गया है।विकास के नाम पर विनाश: चाकाबूड़ा ACB प्लांट ने उगला ‘जहर’
ग्रामीणों की पीड़ा इस बात से और बढ़ जाती है कि उनके गांवों में पेयजल के लिए नल तो लगा दिए गए हैं, लेकिन उनमें पानी की एक बूंद भी नहीं आती। मजबूरी में, उन्हें नहाने, कपड़े धोने और यहां तक कि मवेशियों को पानी पिलाने के लिए इसी जहरीले और बदबूदार नाले का पानी इस्तेमाल करना पड़ रहा है।विकास के नाम पर विनाश: चाकाबूड़ा ACB प्लांट ने उगला ‘जहर’
आंदोलन की चेतावनी, प्रशासन को दिया अल्टीमेटम
एक तरफ सूखे नल और दूसरी तरफ प्लांट से बहता जहरीला पानी, इस दोहरी मार से ग्रामीणों का सब्र अब जवाब दे रहा है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन और कंपनी ने इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान नहीं दिया, तो वे एक बड़े और उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।विकास के नाम पर विनाश: चाकाबूड़ा ACB प्लांट ने उगला ‘जहर’
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
ग्रामीणों ने प्रशासन के सामने अपनी मांगें स्पष्ट रूप से रख दी हैं:
प्लांट से निकलने वाले प्रदूषित पानी और राखड़ को नदी-नालों में छोड़ने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए।
प्रभावित गांवों में टैंकरों या अन्य माध्यमों से स्वच्छ पेयजल की तत्काल व्यवस्था की जाए।
गांवों में लगी नल-जल योजनाओं को तुरंत चालू कर हर घर तक साफ पानी पहुंचाया जाए।









