
जशपुर : मुख्यमंत्री के गृह जिले में शिक्षा का संकट गहराया! आत्मानंद विद्यालयों में 81 पद रिक्त, छात्रों का भविष्य अधर में. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। शैक्षणिक सत्र शुरू हुए लगभग छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन जिले के 11 आत्मानंद विद्यालयों में शिक्षकों के 81 पद अब भी रिक्त पड़े हैं, जिससे हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। इस स्थिति पर न तो जिला प्रशासन और न ही उच्च अधिकारी गंभीरता दिखाते नजर आ रहे हैं, जिससे पालकों और छात्रों में गहरा असंतोष व्याप्त है।
जशपुर जिले के जिन 11 आत्मानंद विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है, उनमें सेजेस कोतबा, सेजेस दोकड़ा, सेजेस बगीचा, सेजेस तपकरा, सेजेस पत्थलगांव, सेजेस कांसाबेल, सेजेस फरसाबहार, सेजेस कुनकुरी, सेजेस पतराटोली, सेजेस जशपुर और सेजेस मनोरा शामिल हैं। इन विद्यालयों में व्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक, व्यायाम शिक्षक, प्रयोगशाला सहायक, प्रधान पाठक, लेखपाल, भृत्य और चौकीदार सहित कुल 81 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। सबसे ज्यादा रिक्त पद सेजेस पत्थलगांव में 13 और सेजेस फरसाबहार में 12 हैं।मुख्यमंत्री के गृह जिले में शिक्षा का संकट गहराया!
पालकों और छात्रों में निराशा:
नए शैक्षणिक सत्र के आरंभ में इन भर्तियों को लेकर पालकों और बच्चों में उम्मीद जगी थी कि उन्हें जल्द ही योग्य शिक्षक मिलेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भर्ती प्रक्रिया सितंबर की शुरुआत में अपने अंतिम चरण में पहुंचने के बाद से ही रुकी हुई है, जिससे छात्रों की पढ़ाई पर सीधा नकारात्मक असर पड़ रहा है। बच्चों, जिन्हें देश का भविष्य और राष्ट्र निर्माता कहा जाता है, उनकी शिक्षा के प्रति यह उदासीनता समझ से परे है।मुख्यमंत्री के गृह जिले में शिक्षा का संकट गहराया!
जिला प्रशासन की बेरुखी पर सवाल:
महीने बीत जाने के बाद भी भर्ती प्रक्रिया की स्थिति स्पष्ट न होने से जिला प्रशासन की आत्मानंद शासकीय विद्यालयों के प्रति बेरुखी साफ नजर आ रही है। उच्च स्तर पर बैठे अधिकारियों की यह उदासीनता बच्चों के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बन रही है। यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो इन स्कूलों के परीक्षा परिणामों पर इसका सीधा और नकारात्मक असर पड़ना तय है।मुख्यमंत्री के गृह जिले में शिक्षा का संकट गहराया!
अधिकारी का बयान:
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया, “इसकी प्रक्रिया चल रही है। कुछ दिन का समय लग सकता है।” हालांकि, यह जवाब पालकों और छात्रों के लिए संतोषजनक नहीं है, जो जल्द से जल्द शिक्षकों की नियुक्ति चाहते हैं ताकि उनकी पढ़ाई सुचारु रूप से चल सके।मुख्यमंत्री के गृह जिले में शिक्षा का संकट गहराया!
यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के बावजूद शिक्षा के इस गंभीर संकट पर कब तक ध्यान दिया जाता है और कब इन विद्यालयों को पर्याप्त शिक्षक मिलते हैं, जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।मुख्यमंत्री के गृह जिले में शिक्षा का संकट गहराया!









