तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से 110 किमी दूर एक बौद्ध विरासत स्थल में एक मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान मिट्टी के मटके में इक्ष्वाकु काल का खजाना मिला है. जिसमें हजारों सिक्कों के साथ ही उस दौर की कई मूल्यवान चीजें भी मिली हैं. पहले भी इस जगह की खुदाई में विरासत विभाग को कई बहुमूल्य चीजें मिली थीं.
NCG News desk Hyderabad:-
हैदराबाद। तेलंगाना का विरासत विभाग राजधानी हैदराबाद से 110 किमी दूर मौजूद बौद्ध विरासत स्थल फणीगिरी में एक मंदिर परिसर की खुदाई चल रही थी, तभी जमीन से खट खट की आवाजें आनें लगीं तो उत्खनन कर रहे लोगों की धड़कन बढ़ने लगी और हाथ थमने शुरू हो गए. मार्च 2024 के आखिरी सप्ताह में विरासत विभाग ने खुदाई में अत्यधिक सावधानी बरतनी शुरू कर दी ताकि नीचे दबी चीज को नुकसान ना पहुंचे.2 फीट गहराई में मिला 1600 साल पुराना बेशकीमती खजाना.
उत्खनन निदेशक एन. सागर और सह-उत्खननकर्ता बी. मल्लू के नेतृत्व में तेलंगाना के सूर्यापेट जिले में काम रही खनन टीम को 29 मार्च 2024 को जमीन से एक मिट्टी का बड़ा मटका मिला. इससे जो निकला उसे देखकर सभी की आंखों में चमक बढ़ गई. तेलंगाना पुरातत्व विभाग की प्रधान सचिव लता शैलजा रमैया और विरासत विभाग के डायरेक्टर भारती होल्लिकेरी ने खुदाई स्थल का दौरा करने के बाद बताया कि उत्खननकर्ताओं को मिले मिट्टी के मटके में हजारों सिक्के मिले हैं. ये मिट्टी का मटका 16.7 सेमी व्यास और 15 सेमी ऊंचाई वाला था.2 फीट गहराई में मिला 1600 साल पुराना बेशकीमती खजाना.
कैसे पता चला, इक्ष्वाकु काल के हैं सिक्के?
लेड से बने इन सिक्कों की संख्या 3,730 है. इनके एक तरफ हाथी का चिह्न बना है. वहीं, दूसरी तरफ उज्जैन का चिह्न अंकित है. स्तरित ग्राफिकल और टाइपोलॉजिकल अध्ययन से पता चला कि ये सिक्के इक्ष्वाकु काल के हैं. मिट्टी के बर्तन से मिले हर सिक्के का वजन औसतन 2.3 ग्राम है. बर्तन का मुंह बाहर की तरफ ढक्कन से बंद था. अंदर एक कटोरे का टूटा हुआ आधार था. सिक्कों के अलावा खुदाई स्थल से कई दूसरी कीमती सांस्कृतिक अवशेष भी मिले हैं.2 फीट गहराई में मिला 1600 साल पुराना बेशकीमती खजाना.
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