इंदौर में 100 करोड़ का महा-घोटाला: पुरानी रजिस्ट्रियों में हेरफेर कर बनाई फर्जी, कलेक्टर के आदेश पर FIR दर्ज

इंदौर में 100 करोड़ का महा-घोटाला: पुरानी रजिस्ट्रियों में हेरफेर कर बनाई फर्जी, कलेक्टर के आदेश पर FIR दर्ज
इंदौर में 100 करोड़ का महा-घोटाला: पुरानी रजिस्ट्रियों में हेरफेर कर बनाई फर्जी, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में एक बड़े भूमि घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसकी कीमत 100 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी जा रही है। भू-माफिया ने पुराने रिकॉर्ड में हेरफेर कर फर्जी रजिस्ट्रियां तैयार कर लीं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर आशीष सिंह के सख्त निर्देशों के बाद पंढरीनाथ पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा? एक प्लॉट ने खोली पूरे रैकेट की पोल
इस पूरे रैकेट का भंडाफोड़ तब हुआ जब मुंबई निवासी हस्तीमल चौकसे अपने शिव विलास पैलेस स्थित प्लॉट का टैक्स जमा करने के लिए नगर निगम कार्यालय पहुंचे। वहां उन्हें पता चला कि निगम के रिकॉर्ड में उनके प्लॉट पर किसी और का नाम दर्ज है। इसके बाद उन्होंने वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक कुमार शर्मा से शिकायत की, जिसके बाद परत-दर-परत यह पूरा घोटाला सामने आने लगा।इंदौर में 100 करोड़ का महा-घोटाला: पुरानी रजिस्ट्रियों में हेरफेर कर बनाई फर्जी
कलेक्टर ने बनाई जांच कमेटी, रिपोर्ट आते ही दिए FIR के निर्देश
मामले की जानकारी मिलते ही कलेक्टर आशीष सिंह ने तुरंत एक जांच कमेटी का गठन कर रजिस्ट्रार ऑफिस के रिकॉर्ड रूम की गहन जांच के आदेश दिए। हाल ही में कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें खुलासा हुआ कि करीब 20 दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की गई है। इन संपत्तियों का बाजार मूल्य 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। इस रिपोर्ट के आधार पर, कलेक्टर ने तत्काल एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसके बाद उप जिला पंजीयक प्रदीप निगम की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया।इंदौर में 100 करोड़ का महा-घोटाला: पुरानी रजिस्ट्रियों में हेरफेर कर बनाई फर्जी
फोरेंसिक जांच से खुलेंगे राज: कागज, स्याही और गोंद बताएंगे आरोपियों का सुराग
पुलिस ने अब इस मामले की फोरेंसिक जांच शुरू कर दी है। इस जांच में यह पता लगाया जाएगा कि फर्जी रजिस्ट्री बनाने में इस्तेमाल हुआ कागज, सील, स्याही और बाइंडिंग कितनी पुरानी है। इससे यह तय करने में मदद मिलेगी कि यह फर्जीवाड़ा कब और किसके कार्यकाल में हुआ। पुलिस इस बात की भी जांच करेगी कि इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किस-किस ने नकलें निकलवाईं, जमीनों का नामांतरण करवाया या फिर बैंकों से लोन लिया। इस जांच से दलालों, विभागीय कर्मचारियों और इस साजिश के पीछे के मुख्य जालसाजों के चेहरे बेनकाब होने की उम्मीद है।इंदौर में 100 करोड़ का महा-घोटाला: पुरानी रजिस्ट्रियों में हेरफेर कर बनाई फर्जी









