रायपुर : केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के अंतर्गत सभी राज्यों को उनके यहां प्रचलित राशन कार्ड की संख्या के आधार पर चावल का कोटा जारी किया जाता है। प्रधानमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के तहत मुफ्त चावल का कोटा भी इसी आधार पर दिया जाता है। हर साल, केंद्र सरकार चावल के वितरण और बचत की जानकारी मांगती है, जिसके आधार पर आडिट भी किया जाता है। लेकिन, छत्तीसगढ़ राज्य में 2020 से 2022 के बीच सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 600 करोड़ रुपये का चावल घोटाला सामने आया है। छत्तीसगढ़ में 600 करोड़ का चावल घोटाला: खाद्य संचालनालय को नहीं है जानकारी
13 हजार राशन दुकानों में अनियमितता
वर्ष 2020 से 2022 के बीच, राज्य की तेरह हजार राशन दुकानों में 100% चावल कोटा जारी किया गया, जबकि कई दुकानों में चावल की बचत हो रही थी। इसके बावजूद, खाद्य संचालनालय ने केंद्र से पूरा कोटा मंगवा लिया, जिससे यह 600 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया। छत्तीसगढ़ में 600 करोड़ का चावल घोटाला: खाद्य संचालनालय को नहीं है जानकारी
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी
सामाजिक संस्था “हमर संगवारी” के अध्यक्ष राकेश चौबे ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत खाद्य संचालनालय से जनवरी 2020 से दिसंबर 2023 तक के चावल वितरण, प्राप्ति और बचत की जानकारी मांगी। लेकिन, खाद्य संचालनालय के जन सूचना अधिकारी ने यह कहते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया कि इस तरह की कोई जानकारी संधारित नहीं की गई है। इसके साथ ही उन्होंने अपीलीय अधिकारी के पास जाने की सूचना दी। छत्तीसगढ़ में 600 करोड़ का चावल घोटाला: खाद्य संचालनालय को नहीं है जानकारी
600 करोड़ के घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश
यह माना जा रहा है कि जानकारी न देने का कारण 600 करोड़ रुपये के राशन घोटाले को छुपाने की कोशिश है। इस घोटाले की जानकारी केंद्रीय खाद्य मंत्री और सचिव को भेजी जा चुकी है, और जांच की मांग की गई है। छत्तीसगढ़ में 600 करोड़ का चावल घोटाला: खाद्य संचालनालय को नहीं है जानकारी
जांच की मांग
केंद्रीय खाद्य मंत्री और सचिव से जांच की अपील की गई है, ताकि इस मामले की पूरी सच्चाई सामने आ सके और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके। छत्तीसगढ़ में 600 करोड़ का चावल घोटाला: खाद्य संचालनालय को नहीं है जानकारी