रायपुर

रायपुर की सड़कों पर ‘पुलिस का रौब’? बिना नंबर प्लेट के दौड़ा ‘अधिग्रहित वाहन’, कानून किसके लिए?

रायपुर। रायपुर की सड़कों पर ‘पुलिस का रौब’? राजधानी रायपुर की सड़कों पर हाल ही में एक अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला, जिसने आम नागरिकों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एक वाहन बिना किसी रजिस्ट्रेशन नंबर (नंबर प्लेट) के शहर में दौड़ता दिखा, जिस पर केवल “पुलिस अधिग्रहित वाहन” लिखा हुआ था। इस घटना ने एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या कानून सबके लिए बराबर है या पुलिस को विशेष छूट मिली हुई है?

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क्या पुलिस के लिए नियम अलग हैं?

यातायात नियमों के अनुसार, सार्वजनिक सड़क पर चलने वाले किसी भी दोपहिया या चार पहिया वाहन पर नंबर प्लेट होना अनिवार्य है। बिना नंबर प्लेट के वाहन चलाना एक दंडनीय अपराध है, जिस पर आम नागरिक को भारी जुर्माना भरना पड़ता है। ऐसे में, “पुलिस अधिग्रहित वाहन” के नाम पर बिना नंबर के वाहन का चलना लोगों को भ्रमित कर रहा है। सवाल यह है कि क्या यह पुलिस का कोई गोपनीय अभियान है या नियमों की खुली अवहेलना? रायपुर की सड़कों पर ‘पुलिस का रौब’? 

विशेषज्ञों की राय: क्या कहता है कानून?

इस मामले पर विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस विशेष परिस्थितियों में, जैसे किसी अपराधी को पकड़ने, जांच करने या किसी गोपनीय ऑपरेशन के लिए, निजी वाहनों को अस्थायी रूप से अधिग्रहित कर सकती है। हालांकि, इस प्रक्रिया के भी अपने नियम हैं। रायपुर की सड़कों पर ‘पुलिस का रौब’? 

  • अस्थायी रजिस्ट्रेशन: अधिग्रहित वाहन पर एक अस्थायी रजिस्ट्रेशन नंबर होना चाहिए।

  • आवश्यक दस्तावेज: यदि अस्थायी नंबर नहीं है, तो वाहन चालक के पास अधिग्रहण की अनुमति, उसका उद्देश्य और अवधि से संबंधित सभी आधिकारिक दस्तावेज हर समय मौजूद होने चाहिए।

अगर कोई “पुलिस अधिग्रहित वाहन” बिना इन शर्तों को पूरा किए सामान्य रूप से सड़क पर चलता पाया जाता है, तो इसे सीधे तौर पर मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन माना जाएगा। रायपुर की सड़कों पर ‘पुलिस का रौब’? 

जवाबदेही और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल

यह मामला सिर्फ एक वाहन का नहीं, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता का भी है। अगर यह वाहन किसी दुर्घटना का कारण बनता है, तो बिना नंबर प्लेट के उसकी पहचान कैसे होगी और पीड़ित को मुआवजा कैसे मिलेगा? इस तरह की घटनाओं से यह आशंका भी पैदा होती है कि कहीं इस विशेष छूट का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है। प्रशासन को इस पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए ताकि कानून व्यवस्था पर जनता का भरोसा बना रहे। रायपुर की सड़कों पर ‘पुलिस का रौब’? 

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