NCG NEWS DESK RAIPUR :-
छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री अमरजीत भगत की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। उनके यहां चार दिन तक चले लंबे छापे को लेकर आयकर विभाग की जांच शाखा की रिपोर्ट में भगत और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए गए है। 24 पन्नों की ये रिपोर्ट जांच शाखा ने राज्य आर्थिक अपराध जांच एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेजी है। रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने ट्रांसफर, पोस्टिंग और डीएमएफ अनुबंधों से 12 करोड़ रिश्वत ली थी। इसके अलावा जो उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे है, उसमे उनके बेटे और अन्य करीबी सहयोगियों के नाम भी सामने आए हैं। आयकर उप निदेशक कार्यालय द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट 27 फरवरी को रायपुर में डीडीआईटी द्वारा आयकर विभाग के प्रधान निदेशक, पीडीआईटी को सौंपी गई थी। इसे सूचना का आदान-प्रदान रिपोर्ट कहा गया है।
12 करोड़ रिश्वत और कमीशनखोरी का खेल
हाल में यह रिपोर्ट एसईओआईएसीबी को भेजी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अमरजीत भगत ने मंत्री रहते मदद देने के बदले में, वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक डीएमएफ अनुबंधों, ट्रांसफर पोस्टिंग से 12 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत ली थी। रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा किया गया कि, कैसे कांग्रेस सरकार में योजना, खाद्य और संस्कृति मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे अमरजीत भगत लोगों से उनके काम करवाने के नाम पर कमीशन लेते थे। इन अनुचित पक्षपातों में अनुबंध देने में अनुकूल व्यवहार प्रदान करना, अधिकारियों के स्थानांतरण(ट्रांसफर) आदि शामिल थे। ये रिश्वत या तो सीधे मंत्री या उनके बेटे आदित्य भगत, सुरेश कुमार यादव, हरपाल सिंह अरोड़ा (राजू अरोड़ा) और राजेश वर्मा लेते रहे।
चार दिन चले छापे का निकल कर सामने आया
31 जनवरी को पूर्व मंत्री और करीबियों पर डाले गए छापों की 4 दिन तक चली तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान कई राज़ सामने आए। छापे के दौरान भगत और उनके करीबियों के यहाँ से कई साबुत जब्त किए गए और कई लोगों के बयान भी दर्ज किये गए। रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन खाद्य मंत्री भगत वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 1,15,26,666 रुपये की नकदी एकत्र करने के अपराध-सिद्ध साक्ष्य मेसर्स केके एग्रो ट्रेड वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (खाद्य कार्टेल समूह का हिस्सा) पर 14 दिसंबर, 2023 को की गई तलाशी और जब्ती कार्रवाई के दौरान पाए गए। यह प्रमुख मुद्दा था जिसने भगत और उनके सहयोगियों पर तलाशी लेने की पृष्ठभूमि बनाई।
अवैध पैसा रियल एस्टेट बिज़नेस में लगाया
इस रिपोर्ट में पूर्व मंत्री भगत से जुड़े अन्य व्यक्तियों/संस्थाओं के प्रदर्शन और बयान शामिल हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से भगत के खिलाफ संज्ञेय अपराध की बात कही गई है। जिसमें उनके दो निजी सहायकों सुरेश कुमार यादव और राजेश वर्मा, उनके विशेष कर्तव्यथ अधिकारी ओएसडी अतुल शेटे, हरपाल सिंह अरोड़ा, राजू अग्रवाल और कई अन्य लोगों की मिलीभगत से अवैध धन अर्जित करने में उनकी संलिप्तता का उल्लेख है। इसके अलावा, भगत ने रायपुर निवासी एक फ्रंटमैन हरपाल सिंह अरोड़ा के माध्यम से अवैध धन को रियल एस्टेट व्यवसाय में निवेश किया।
धान की फर्जी खरीद, कागजों में मिलिंग
यदि 1-टी विभाग की रिपोर्ट को कोई पैमाना माना जाए, तो डीएमएफ फंड से विभिन्न व्यक्तियों को ठेके देने, अधिकारियों को एक पद या स्थानांतरित करने, कृषि उपज मंडी से धान की फर्जी खरीद के बदले विभिन्न चावल मिल मालिकों से कमीशन लेने के एवज में करोड़ों रुपये नकद भुगतान के माध्यम से भगत को मिले। मिलिंग केवल कागजों पर ही अस्तित्व में थी और बांग्लादेशी शरणार्थियों की भूमि हड़पना आदि। इसकी प्रविष्टियाँ ढीले कागजों पर रखी जा रही थीं, जो भगत से निकट से जुड़े कई व्यक्तियों/संस्थाओं से बरामद की गईं।
भगत ने वीडियो के जरिए मीडिया को दी धमकी
इस बीच भगत ने एक वीडियो बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि, समाचारों के माध्यम से मेरी छवि खराब करने के लिए तरह-तरह के मनगढ़ंत आरोप लगाए जा रहे हैं। भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। मैने शुरू से ही साफ सुथरी राजनीति की है। मैं किसान, आदिवासी पृष्ठभूमि से आता हूं और ये आरोप मेरी छवि खराब करने की नाकाम कोशिश है, आरोपों को सिरे से खारिज करता हूं। उन्होंने यह भी कहा है कि, सबको पुनः सलाह देता हूं कि इस तरह के भ्रामक समाचार प्रसारित न करें। अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी पड़ेगी।
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