तेंदूपत्ता घोटाले का मास्टरमाइंड बेनकाब!
अकबर के वरदहस्त से सुशासन की आड़ में खेला जा रहा करोड़ों का खेल, पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने खोले राज
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता घोटाले का खुलासा होते ही बस्तर की राजनीति में भूचाल आ गया है। पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने प्रेस कांफ्रेंस कर वन विभाग के शीर्ष अधिकारी श्रीनिवासन राव पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि इस अधिकारी ने सत्ता की आड़ में घोटाले को अंजाम दिया और भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए भारी रकम की पेशकश की। अकबर के वरदहस्त से सुशासन की आड़ में खेला जा रहा करोड़ों का खेल
🧾 श्रीनिवासन राव पर पूर्व विधायक का बड़ा आरोप
पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि:
- घोटाले में छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
- असली मास्टरमाइंड पीसीसीएफ श्रीनिवासन राव है, जिसने 9 अप्रैल को जगदलपुर में उनसे मुलाकात की।
- उन्होंने जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को समर्थन देने के बदले बड़ी राशि की पेशकश की थी
🏛️ क्यों छाया है घोटाले में “अकबर फैक्टर”?
- पूर्व कांग्रेस सरकार के वन मंत्री मोहम्मद अकबर के खास माने जाते हैं श्रीनिवासन राव।
- कांग्रेस शासन में इन्हें सीनियर IFS अफसरों को सुपरसीड कर वन विभाग का प्रमुख बनाया गया था।
- सत्ता बदलने के बाद उम्मीद थी कि जांच होगी, लेकिन उल्टा इन्हें भाजपा शासन में भी “लाडला” बना लिया गया।
🏗️ भाजपा को नुकसान, सत्ता-संगठन में नाराजगी
- जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को सुकमा में करारी शिकस्त।
- संगठन का दावा है कि मेहनत के बल पर सत्ता मिली, लेकिन ऐसे अधिकारी संगठन को कमजोर कर रहे हैं।
- संघ और भाजपा के कार्यकर्ता अब इस अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।
📢 संघठन के ऊपर “मैनेजमेंट” का दावा करता है ये अधिकारी!
- आरोप है कि श्रीनिवासन राव खुद को सरकार और सत्ता का असली संचालक मानते हैं।
- सत्ता बदलने के बाद भी दक्षिण भारत के ठेकेदारों को छत्तीसगढ़ के जंगलों में हावी कर दिया गया है।
- बस्तर के संसाधनों का दोहन कर दक्षिण भारत में मॉल और साम्राज्य खड़ा किया जा रहा है।
🛑 जांच हुई तो कई बड़े नाम होंगे बेनकाब!
- बताया जाता है कि इस अधिकारी ने पूर्व सरकार में करोड़ों की चढ़ोत्तरी चढ़ाई थी।
- सत्ता बदलते ही फिर से “मैनेजमेंट” कर वर्तमान सरकार की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए।
- अगर ACB/EOW की निष्पक्ष जांच हुई, तो शासन-प्रशासन की जड़ें हिल सकती हैं।
❓ अब सवाल यह कि जवाबदेही किसकी?
- क्या सरकार ऐसे विवादित अफसरों को संरक्षित रखकर भाजपा की छवि को नुकसान नहीं पहुंचा रही?
- क्या संघ और संगठन भी ऐसे अधिकारियों की भूमिका पर चुप्पी साध लेंगे?
🧩 सरकार के सुशासन पर बड़ा प्रश्नचिह्न
- सुशासन का नारा देने वाली सरकार को अब तय करना होगा कि ऐसे अफसरों के साथ खड़े रहना कितना उचित है।
- अगर समय रहते कठोर निर्णय नहीं लिए गए, तो यह अफसर वही हाल करेगा जो कांग्रेस के साथ हुआ – 70 से 34 सीट तक की गिरावट। अकबर के वरदहस्त से सुशासन की आड़ में खेला जा रहा करोड़ों का खेल