दिल्ली में कबाड़ बनेगा ‘सोना’! देश के पहले E-Waste Park से होगी करोड़ों की कमाई, हजारों को मिलेगी नौकरी
मुख्य बातें:
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दिल्ली के होलंबी कलां में 11.4 एकड़ में बनेगा भारत का पहला ई-वेस्ट इको पार्क।
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यह सालाना 51,000 मीट्रिक टन ई-कचरे को वैज्ञानिक तरीके से रीसायकल करेगा।
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प्रोजेक्ट से 350 करोड़ रुपये के राजस्व के साथ हजारों ‘ग्रीन जॉब्स’ पैदा होंगी।
Delhi E-Waste Eco Park: पुराने फोन, लैपटॉप, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान से पैदा हो रहे ‘जहरीले कचरे’ के पहाड़ से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राजधानी के होलंबी कलां में देश का पहला ई-वेस्ट इको पार्क बनने जा रहा है। यह पार्क न केवल पर्यावरण को बचाएगा, बल्कि दिल्ली के लिए राजस्व और रोजगार का एक बड़ा जरिया भी बनेगा।दिल्ली में कबाड़ बनेगा ‘सोना’! देश के पहले E-Waste Park से होगी करोड़ों की कमाई
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि यह पार्क ई-कचरे के वैज्ञानिक निपटान में एक मील का पत्थर साबित होगा।दिल्ली में कबाड़ बनेगा ‘सोना’! देश के पहले E-Waste Park से होगी करोड़ों की कमाई
कहां और कितना बड़ा होगा यह पार्क?
यह अत्याधुनिक ई-वेस्ट इको पार्क उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के होलंबी कलां में 11.4 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा। दिल्ली राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम (DSIIDC) को इस प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करने का निर्देश दिया गया है।दिल्ली में कबाड़ बनेगा ‘सोना’! देश के पहले E-Waste Park से होगी करोड़ों की कमाई
पार्क की खासियतें और करोड़ों का राजस्व
यह सिर्फ एक सामान्य कचरा प्लांट नहीं होगा। इसकी कई खासियतें हैं:
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विशाल क्षमता: यह पार्क सालाना 51,000 मीट्रिक टन ई-कचरे को प्रोसेस करने की क्षमता रखेगा।
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सभी तरह का कचरा: इसमें ई-वेस्ट मैनेजमेंट नियम, 2022 के तहत आने वाली सभी 106 श्रेणियों के कचरे का निपटान किया जाएगा।
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राजस्व का स्रोत: अनुमान है कि इस पार्क से सालाना 350 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व उत्पन्न होगा।
सिर्फ रीसाइक्लिंग नहीं, हजारों को मिलेगी ‘ग्रीन नौकरी’
यह इको पार्क रोजगार का एक बड़ा केंद्र बनेगा। यहां सिर्फ ई-कचरे को खत्म नहीं किया जाएगा, बल्कि उससे जुड़ी कई आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा:
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अलग-अलग जोन: पार्क में रीसाइक्लिंग, रिफर्बिशिंग (मरम्मत कर नया बनाना), डिस्मेंटलिंग (पुर्जे अलग करना), टेस्टिंग और प्लास्टिक रिकवरी के लिए अलग-अलग जोन होंगे।
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सेकेंड हैंड मार्केट: यहां सेकेंड हैंड इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए एक व्यवस्थित बाजार भी बनाया जाएगा।
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कौशल विकास: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले हजारों कबाड़ श्रमिकों को औपचारिक रूप से प्रशिक्षित करने के लिए एक स्किल और ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किया जाएगा, जिससे हजारों ‘ग्रीन जॉब्स’ पैदा होंगी।
क्यों है इस पार्क की इतनी जरूरत?
आंकड़े बताते हैं कि भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश है। इसमें अकेले दिल्ली का योगदान लगभग 9.5% है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में चार ई-वेस्ट इको पार्क बनाने की घोषणा की थी, और दिल्ली इस पहल को लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है।दिल्ली में कबाड़ बनेगा ‘सोना’! देश के पहले E-Waste Park से होगी करोड़ों की कमाई
कब तक बनकर होगा तैयार?
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 18 महीने का लक्ष्य रखा गया है। एक बार पूरी तरह से चालू होने के बाद, यह पार्क अगले पांच वर्षों में दिल्ली के कुल ई-कचरे का लगभग 25% तक प्रोसेस करने लगेगा, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि होगी।दिल्ली में कबाड़ बनेगा ‘सोना’! देश के पहले E-Waste Park से होगी करोड़ों की कमाई