शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर सरकार की नजर, अब देना होगा हर निवेश का हिसाब, निर्देश जारी

शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर सरकार की नजर, अब देना होगा हर निवेश का हिसाब, निर्देश जारी
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शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर सरकार की नजर, छत्तीसगढ़ में अब सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए शेयर बाजार, प्रतिभूतियों या म्यूचुअल फंड में निवेश करना पहले जैसा आसान नहीं होगा। राज्य सरकार ने एक नया निर्देश जारी किया है, जिसके तहत अब कर्मचारियों को अपने हर बड़े निवेश की जानकारी सरकार को देनी होगी। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने इस संबंध में सभी कलेक्टरों, विभागाध्यक्षों और जिला पंचायत CEO को एक सख्त आदेश जारी कर दिया है।
कितने निवेश पर देना होगा हिसाब? सरकार ने तय की सीमा
हालांकि, कर्मचारियों को थोड़ी राहत देते हुए सरकार ने निवेश की एक सीमा तय कर दी है। इस सीमा से अधिक निवेश करने पर ही हिसाब-किताब देना अनिवार्य होगा।शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर सरकार की नजर
दो माह के मूल वेतन से अधिक का हर सौदा: छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के अनुसार, यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी एक सौदे (लेन-देन) में अपने दो महीने के मूल वेतन (Basic Salary) से अधिक की राशि का निवेश करता है, तो उसे इसकी रिपोर्ट तुरंत अपने विभाग के सक्षम प्राधिकारी को देनी होगी।
छह माह के मूल वेतन से अधिक का कुल निवेश: इसके अलावा, यदि किसी कर्मचारी का शेयर, प्रतिभूतियों, डिबेंचर्स और म्यूचुअल फंड में किया गया कुल निवेश उसके छह महीने के मूल वेतन से अधिक हो जाता है, तो उसे इसे अपनी चल संपत्ति के रूप में एक निर्धारित प्रारूप में घोषित करना होगा।
क्या कहता है नया सरकारी नियम?
यह निर्देश छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 19 में किए गए संशोधन के आधार पर जारी किया गया है। इस संशोधन में शेयर, प्रतिभूतियों और म्यूचुअल फंड आदि को चल संपत्ति (Movable Property) की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता लाना है।शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर सरकार की नजर
कर्मचारी संघ ने जताया विरोध, कहा- ‘यह हम पर संदेह करने जैसा’
सरकार के इस नए आदेश से कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन में भारी असंतोष है। फेडरेशन के प्रांतीय सचिव राजेश चटर्जी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह आदेश सरकारी कर्मचारियों पर संदेह करने जैसा है।” उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी कर्मचारी जब निवेश करता है, तो वह अपनी आय और निवेश की पूरी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में पहले से ही देता है। ऐसे में, इस तरह का एक और आदेश जारी करना उचित नहीं है और यह कर्मचारियों के मनोबल को प्रभावित कर सकता है।शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले सरकारी कर्मचारियों पर सरकार की नजर









