रीपा योजना में भ्रष्टाचार पर चला सरकारी चाबुक: 3 पंचायत सचिव सस्पेंड, 3 पूर्व जनपद CEO को नोटिस

रीपा योजना में भ्रष्टाचार पर चला सरकारी चाबुक: 3 पंचायत सचिव सस्पेंड, 3 पूर्व जनपद CEO को नोटिस
मुख्य बातें:
छत्तीसगढ़ की महत्वाकांक्षी रीपा (RIPA) योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितता का खुलासा।
जांच के बाद रायपुर संभाग के 3 पंचायत सचिव निलंबित, 3 तत्कालीन जनपद CEO को कारण बताओ नोटिस जारी।
लाखों-करोड़ों की मशीनें खरीदी गईं, पर आज केंद्रों में खा रहीं जंग या हो चुकी हैं चोरी।
भंडार क्रय नियमों की अनदेखी और बिना तकनीकी जांच के मशीन खरीदने का है आरोप।
गांवों को आत्मनिर्भर बनाने वाली योजना में भ्रष्टाचार का दीमक
रीपा योजना में भ्रष्टाचार पर चला सरकारी चाबुक: 3 पंचायत सचिव सस्पेंड, छत्तीसगढ़ में गांवों को औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित कर आत्मनिर्भर बनाने वाली महत्वाकांक्षी रीपा (रूरल इंडस्ट्रियल पार्क) योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इस योजना में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताओं का खुलासा होने के बाद अब प्रशासन ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। रायपुर संभागायुक्त महादेव कावरे ने जांच रिपोर्ट के आधार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन पंचायत सचिवों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और तीन तत्कालीन जनपद सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
कैसे हुआ घोटाला?
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा की गई जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं:
नियमों की धज्जियां: मशीनों की खरीदी में भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया।
बिना जांच के खरीदी: बिना किसी तकनीकी परीक्षण के ही लाखों-करोड़ों की मशीनें खरीद ली गईं।
भुगतान में गड़बड़ी: देय राशि का भुगतान नियमों को ताक पर रखकर टुकड़ों में किया गया।
योजना का हश्र: आज ये कीमती मशीनें या तो रीपा केंद्रों में बेकार पड़ी जंग खा रही हैं, या फिर गौठानों से चोरी हो चुकी हैं।
इन पर गिरी गाज
निलंबित पंचायत सचिव:
शंकर साहू (ग्राम पंचायत बिरकोनी, महासमुंद)
खिलेश्वर ध्रुव (ग्राम पंचायत गिर्रा, पलारी)
टीकाराम निराला (ग्राम पंचायत लटुआ)
नोटिस पाने वाले तत्कालीन CEO:
रोहित नायक (जनपद पंचायत पलारी)
रवि कुमार (जनपद पंचायत बलौदाबाजार)
लिखत सुल्ताना (जनपद पंचायत महासमुंद)
ऊपर से था दबाव?
सूत्रों के मुताबिक, गोबर से पेंट बनाने, फ्लाई ऐश ईंट बनाने और पोस्टर छापने जैसी कई मशीनें 14वें और 15वें वित्त आयोग के फंड से खरीदी गई थीं। कई पंचायत सचिवों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन पर “ऊपर से आदेश” था कि जैसे भी बिल आएं, उन्हें पास करना है। यह खरीदी तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई थी और उस समय भाजपा ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे।रीपा योजना में भ्रष्टाचार पर चला सरकारी चाबुक: 3 पंचायत सचिव सस्पेंड
सरकार बदलने के बाद भी यह योजना ठंडे बस्ते में है। इस पूरे मामले ने न सिर्फ जनता के पैसे की बर्बादी की है, बल्कि गांवों के विकास और आत्मनिर्भरता के सपने को भी तोड़ा है। अब इस मामले की लोकायुक्त या आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) से गहन जांच की मांग भी उठ सकती है।रीपा योजना में भ्रष्टाचार पर चला सरकारी चाबुक: 3 पंचायत सचिव सस्पेंड









