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बस्तर में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहाल: सरकारी अस्पतालों से एंटी-रेबीज वैक्सीन गायब, ₹4500 में खरीदने को मजबूर मरीज

बस्तर में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहाल: सरकारी अस्पतालों से एंटी-रेबीज वैक्सीन गायब, ₹4500 में खरीदने को मजबूर मरीज

मुख्य बिंदु:

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  • बस्तर संभाग के सरकारी अस्पतालों में एंटी-रेबीज वैक्सीन की भारी किल्लत।

  • डॉग बाइट के बढ़ते मामलों के बीच मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।

  • गरीब मरीजों को बाजार से ₹4500 में वैक्सीन खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

  • सप्लायरों का भुगतान रुकने से दवाओं की आपूर्ति ठप, स्वास्थ्य मंत्री के दावे खोखले साबित।

बस्तर: सरकारी अस्पतालों से एंटी-रेबीज वैक्सीन गायब, ₹4500 में खरीदने को मजबूर मरीज, छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। एक तरफ जहां आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में जीवनरक्षक एंटी-रेबीज वैक्सीन तक उपलब्ध नहीं है। रोजाना डॉग बाइट के शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे मरीजों को सिर्फ मरहम-पट्टी करके लौटाया जा रहा है, जिससे उनकी जान पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

हर दिन 8-10 मामले, पर इलाज नदारद

बस्तर के लगभग हर जिला अस्पताल में प्रतिदिन डॉग बाइट के 8 से 10 मामले सामने आ रहे हैं। रेबीज एक जानलेवा संक्रमण है, जिसका इलाज तुरंत शुरू होना चाहिए। लेकिन विडंबना यह है कि जब पीड़ित सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्यकर्मी भी इस स्थिति से परेशान हैं, लेकिन वे लाचार हैं। सरकारी अस्पतालों से एंटी-रेबीज वैक्सीन गायब, ₹4500 में खरीदने को मजबूर मरीज

जेब पर भारी पड़ रहा इलाज: ₹4500 में मिल रही वैक्सीन

सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की उम्मीद लेकर पहुंचने वाले गरीब मरीजों पर दोहरी मार पड़ रही है। उन्हें न केवल कुत्ते के काटने का दर्द सहना पड़ रहा है, बल्कि अपनी जान बचाने के लिए बाजार से महंगी वैक्सीन खरीदने के लिए भी मजबूर होना पड़ रहा है। एंटी-रेबीज वैक्सीन के तीन डोज का कोर्स बाजार में लगभग ₹4500 का मिल रहा है, जो एक गरीब परिवार के लिए एक बहुत बड़ी रकम है। सरकारी अस्पतालों से एंटी-रेबीज वैक्सीन गायब, ₹4500 में खरीदने को मजबूर मरीज

क्यों है दवाओं की किल्लत? भुगतान न होने से सप्लाई ठप

अस्पतालों में इस भारी किल्लत के पीछे की वजह प्रशासनिक लापरवाही है। सरकारी अस्पतालों को दवाएं सप्लाई करने वाली संस्था सीजीएमएसई (CGMSC) ने दवा कंपनियों का करोड़ों का भुगतान रोक रखा है। इस वजह से कंपनियों ने दवाओं और वैक्सीन की सप्लाई बंद कर दी है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। सीएमएचओ को दी गई लोकल खरीद की शक्ति भी भ्रष्टाचार के चलते सीमित कर दी गई है, जिससे समस्या और भी गंभीर हो गई है। सरकारी अस्पतालों से एंटी-रेबीज वैक्सीन गायब, ₹4500 में खरीदने को मजबूर मरीज

खोखले साबित हो रहे स्वास्थ्य मंत्री के दावे

हाल ही में बस्तर दौरे पर आए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने दावा किया था कि बस्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं को महानगरों जैसा बनाया जाएगा और किसी को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल रही है। अस्पतालों में न सिर्फ एंटी-रेबीज वैक्सीन, बल्कि मलेरिया और डेंगू जांच किट जैसी जरूरी चीजों का भी अभाव है। यह स्थिति सरकार के दावों और हकीकत के बीच की बड़ी खाई को दर्शाती है। सरकारी अस्पतालों से एंटी-रेबीज वैक्सीन गायब, ₹4500 में खरीदने को मजबूर मरीज

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