NCG NEWS DESK BHILAI :-
10 नवंबर 2015 को शंकराचार्य इंजीनियरिंग कालेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण कर संदेहास्पद तरीके से मौत की घटना को अंजाम दे दिया गया था । हाईप्रोफाइल और चर्चित इस मर्डर केस को सुलझाने के लिए पुलिस द्वारा देशभर के लगभग1 करोड़ से भी अधिक मोबाईल की कॉल रिकार्डिंग को छानना पड़ा था जिसके बाद दो आरोपियों और अभिषेक की पत्नी के साथ ही तीनों को इस मामले में आरोपी बनाया गया था। इस मामले में अब फैसला आ गया है।
शंकराचार्य इंजीनियरिंग कालेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा के हत्या करने वाले दो आरोपियों को हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। दोनों आरोपी विकास सिंह और अजित सिंह को जिला अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एक अन्य आरोपी विकास जैन की पत्नी किम्सी जैन को जिला अदालत ने पहले ही दोषमुक्त कर दिया है।
घटना 10 नवंबर 2015 के शाम की है। शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज अध्यक्ष आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण करने के बाद हत्या कर दिया गया प्रदेश हुए हाई प्रोफाइल अकाउंट को सुलझाने के लिए देश भर के एक मोबाइल फोन की डिटेल निकालने के बाद भिलाई के रहने वाले विकास जैन को गिरफ्तार किया था । विकास की पत्नी किम्सी ने चाचा अजीत सिंह के स्मृति नगर निवास के बगीचे में अभिषेक की साड़ी गली अवस्था में लाश पाई गई थी। अभिषेक 9 नवंबर को घर से निकल था और घरवालों ने 10 नवंबर को जेवरा चौकी में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। 22 दिसंबर 2015 को पुलिस ने संदेह के आधार पर विकास जैन और उसके चाचा ससुर अजीत सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ भी किया गया । अगले दिन अजीत सिंह के स्मृति नगर स्थित बगीचे में अभिषेक की सड़ी गली लाश पाई गई थी।
मामले में पुलिस ने जांच शुरू किया और घटना स्थल और अन्य सबूतों के आधार पर विकास जैन और अजीत सिंह को जिला अदालत ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि यह स्थिति से निर्मित होने वाली प्रकरण है और आरोपियों के खिलाफ परिस्थितियां प्रमाणित नही हुई है। अधिवक्ता अनिल तवाड़कर और उमाभारती साहू ने भी आरोपियों के पक्ष में पैरवी किया। अधिवक्ताओं का कहना था कि यह पूरी घटना परिस्थिति जन्य साक्ष्य पर टिका हुआ है। अभियोजन पक्ष सुनवाई के दौरान घटना की कड़ियाँ जोड़ने में नाकाम रही जिसका लाभ आरोपियों को मिला। अभिषेक मिश्रा के पिता आईपी मिश्रा ने किम्सी जैन की रिहाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में भी हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए आईपी मिश्रा की याचिका खारिज कर दिया था।
इस घटनाक्रम में पुलिस और शासन हत्या और आरोपियों के बीच उसके उद्देश्यों को जोड़ नही पायी। पुलिस का कहना था कि आरोपियों ने मृतक की हत्या कर जमीन में गाड़ दिया और लाश के सड़ने के लिए काफी मात्रा में नमक डालकर दफन कर दिया और उसके उपर फूलगोभी सब्जी की खेती कर दी गई । लेकिन इसके कोई साक्ष्य पुलिस पेश नहीं कर पाई। इस हत्याकांड का सबसे कमजोर होने का कारण यह था कि इसमें कोई चश्मदीद गवाह या ऐसे ठोस सबूत नही थे जो सीधे आरोपियों के ऊपर लगे आरोप को सिध्द करते हों। जांच के दौरान पुलिस कोर्ट में गावः और सबूत पेश नही कर पाई जिसके कारण अब आरोपियों को हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है।
किम्सी जैन जो कि मृतक की पत्नी थी और पुलिस चार्जशीट की बात करें तो आरोपी भी लेकिन इस घटना से लगभग 28 दिन पहले किम्सी ने 12 अक्टूबर को धनवंतरी अस्पताल नेहरू नगर भिलाई में सीजेरियन ऑपरेशन से एक बेटे को जन्म दिया था और 15 अक्टूबर को अस्पताल से छुट्टी ली थी। घटना के एक दिन पहले भी वह अपना इलाज कराने धनवंतरी अस्पताल गयी थी इस बात पर टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने कहा कि जिस महिला की लगभग एक माह फके सीजेरियन ऑपरेशन हुआ हो वह इस तरह के हत्या की वारदात में कैसे शामिल होकर साजिश कर सकती है। आरोपी विकास जैन ने इस मामले में खुद पैरवी करते हुए अपना पक्ष रखा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई इंजरी नही है और आयरन रॉड से सिर में वार करने की बात कही जा रही है। अभियोजन पक्ष का हत्या का मोटिव साबित नही कर पाने , आरोपियों के विरूद्ध ठोस सबूत और गवाहों के अभाव और घटना क्रम की कड़ी भी नही जुड़ पाने की वजह से हाईकोर्ट ने इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड के केस में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है।
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