आवेदक को सूचना न देने पर चेतावनी नहीं, जुर्माना जरूरी : हाईकोर्ट
दोषी पर 25 हजार रुपए तक जुर्माना लगाने के अलावा आयोग के पास नहीं कोई विकल्प
NCG News desk Chandigarh:-
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर स्पष्ट किया कि आर.टी.आई. एक्ट के तहत सूचना देने में देरी पर जनसूचना अधिकारी को सिर्फ चेतावनी देकर नहीं छोड़ा जा सकता है। उस पर जुर्माना लगाना जरूरी है। आवेदक को सूचना न देने पर चेतावनी नहीं, जुर्माना जरूरी.
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बता दे कि सेवानिवृत्त अध्यापिका चंद्रकांता ने वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सूचना अधिकारी को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ने को चुनौती दी थी। कैथल की रिटायर्ड अध्यापिका चंद्रकांता ने अपने लंबित वेतन संबंधी काम की सूचना मांगी थी। आवेदक को सूचना न देने पर चेतावनी नहीं, जुर्माना जरूरी.
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दरअसल मामला यह है कि कैथल की रिटायर्ड अध्यापिका चंद्रकांता ने अपने लंबित वेतन संबंधी काम की सूचना मांगी थी जिस पर जनसूचना अधिकारी और विभागीय अपीलीय अधिकारी दोनों ने आवेदक को 30 दिन में सूचना नहीं दी। मामला राज्य सूचना आयोग जाने पर सुनवाई के एक दिन पहले उसे सूचना दे दी गई। राज्य सूचना आयोग ने सूचना देने में हुई देरी के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, कैथल के जनसूचना आधिकारी को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया था। जिस पर वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि जनसूचना अधिकारी पर सूचना देने में देरी के दिनों के लिए अढ़ाई सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाना सूचना के अधिकार कानून में तय है।
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आयोग के पास जुर्माना लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हाईकोर्ट ने सूचना आयोग के फैसले को रद्द करते हुए हिदायत दी कि सूचना देने में देरी के दोषी को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ने की आयोग के पास कोई अधिकार नहीं है और सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत अधिकतम 25 हजार रुपए जुर्माना लगाने के अलावा आयोग के पास कोई अन्य विकल्प भी नहीं है।आवेदक को सूचना न देने पर चेतावनी नहीं, जुर्माना जरूरी.
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