घरेलू हिंसा के मामले में हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने घरेलू हिंसा के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए देवर और देवरानी पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने शिकायतकर्ता नर्स जागृति तिवारी को नोटिस जारी करते हुए देवर विशाल और उनकी पत्नी का नाम हटाने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नर्स के आरोप खारिज, देवर-देवरानी को मिली राहत
क्या है पूरा मामला?
बिलासपुर नगर निगम में कार्यरत विकास चौरसिया और सिम्स अस्पताल की नर्स जागृति तिवारी दोनों पहले से तलाकशुदा थे और शादी के बाद उनके बीच विवाद बढ़ने लगे।
जागृति ने अपने पति के अलावा देवर और देवरानी पर भी घरेलू हिंसा का आरोप लगाया और न्यायालय में परिवाद दायर किया। हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नर्स के आरोप खारिज, देवर-देवरानी को मिली राहत
देवर-देवरानी ने कोर्ट में दी सफाई
विशाल और उनकी पत्नी ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि वे पुणे में रहते हैं और बिलासपुर में केवल कुछ दिनों के लिए आए थे।
आधार कार्ड और बिजली बिल के सबूत पेश कर यह साबित किया गया कि वे शिकायतकर्ता के साथ नहीं रहते।
JMFC और सेशन कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी थी, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नर्स के आरोप खारिज, देवर-देवरानी को मिली राहत
हाईकोर्ट ने सुनाया न्याय
हाईकोर्ट ने पाया कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12-2 के अनुसार, साझा गृहस्थी में रहने वाले सदस्यों पर ही यह नियम लागू होता है।
इस आधार पर विशाल और उनकी पत्नी का नाम केस से हटाने का आदेश दिया गया।
साथ ही शिकायतकर्ता जागृति तिवारी को कोर्ट ने नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नर्स के आरोप खारिज, देवर-देवरानी को मिली राहत