हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ईमानदार करदाताओं को नहीं देना होगा जुर्माना
स्वेच्छा से गलती स्वीकारने पर नहीं लगेगा दंड | ITAT का आदेश खारिज
बिलासपुर — छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आयकर मामलों से जुड़े एक अहम केस में करदाताओं को राहत देने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ किया कि यदि कोई करदाता अपनी गलती स्वेच्छा से उजागर करता है और उसका कोई धोखाधड़ी का उद्देश्य नहीं होता, तो उस पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 271(1)(c) के तहत जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ईमानदार करदाताओं को नहीं देना होगा जुर्माना
🔎 मामला क्या था?
यह केस छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड से जुड़ा है, जो एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी है। कंपनी के बहीखाते में बुक प्रोफिट की गणना में गलती हो गई थी। हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ईमानदार करदाताओं को नहीं देना होगा जुर्माना
👉 कंपनी ने ₹35.74 करोड़ के स्थान पर गलती से ₹26.89 करोड़ दर्ज किया था, जो कि डेटा फीडिंग की मानवीय त्रुटि थी।
👉 इस गलती को खुद कंपनी ने कर निर्धारण अधिकारी (AO) के समक्ष स्वीकार किया।
👉 AO ने इसे आय का गलत विवरण मानते हुए धारा 271(1)(c) के तहत जुर्माना लगाया। हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ईमानदार करदाताओं को नहीं देना होगा जुर्माना
🏛️ कोर्ट में क्या हुआ?
- CIT (A) ने AO के जुर्माने को खारिज कर दिया, मानवीय त्रुटि मानते हुए।
- ITAT ने इस फैसले को पलटते हुए कंपनी पर जुर्माना बहाल कर दिया।
- कंपनी ने ITAT के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
⚖️ हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने साफ कहा कि—
“जब करदाता खुद आगे आकर अपनी त्रुटि स्वीकार करता है और उसका कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं होता, तो ऐसी स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई उचित नहीं है।”
इस आधार पर ITAT का आदेश खारिज कर दिया गया और कंपनी को बड़ी राहत दी गई। हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ईमानदार करदाताओं को नहीं देना होगा जुर्माना
✅ क्यों है ये फैसला महत्वपूर्ण?
✔️ यह फैसला उन करदाताओं के लिए बड़ी राहत है जो अनजाने में हुई गलतियों को सुधारना चाहते हैं।
✔️ अब ईमानदारी से गलती मानने वालों को दंड नहीं मिलेगा।
✔️ यह निर्णय आयकर अधिनियम की उचित व्याख्या और करदाता के अधिकारों की रक्षा करता है।
- आयकर अधिनियम की धारा 271(1)(c) पर महत्वपूर्ण व्याख्या
• स्वेच्छा से गलती स्वीकार करने पर नहीं लगेगा जुर्माना
• ITAT का आदेश हाईकोर्ट ने किया खारिज
• करदाता के इरादे को माना गया महत्वपूर्ण आधार