बस्तर में बच्चों के भविष्य पर खतरा: 1500 से ज्यादा स्कूल जर्जर, कैसे शुरू होगा नया शिक्षा सत्र?
मुख्य बिंदु:
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बस्तर संभाग के 7 जिलों में 1542 स्कूल भवन बेहद खराब हालत में।
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नया शैक्षणिक सत्र 15 जून से शुरू, लेकिन मरम्मत का काम अधूरा।
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बस्तर जिले में सबसे ज्यादा 546 स्कूल जर्जर, बच्चों की सुरक्षा दांव पर।
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लाखों खर्च के बावजूद ‘स्कूल जतन योजना’ का लाभ कई स्कूलों तक नहीं पहुंचा।
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शिक्षा विभाग ने कक्षाओं के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने का दावा किया।
जगदलपुर, छत्तीसगढ़: बस्तर में नए शैक्षणिक सत्र की घंटी बजने वाली है, लेकिन हजारों बच्चों के सिर पर जर्जर स्कूल भवनों का खतरा मंडरा रहा है। संभाग के सात जिलों में 1500 से अधिक स्कूल भवन इतने खस्ताहाल हैं कि वे कभी भी किसी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। दीवारों में दरारें, टपकती छतें और टूटे-फूटे शौचालय इन स्कूलों की दर्दनाक हकीकत बयां कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन खतरनाक इमारतों में बच्चे अपना भविष्य कैसे गढ़ेंगे?बस्तर में बच्चों के भविष्य पर खतरा
ग्राउंड जीरो पर डरावनी हकीकत
कागजों पर भले ही मरम्मत के दावे किए जा रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बकावण्ड ब्लॉक के चिखलकरमरी प्राथमिक शाला जैसे कई स्कूलों के छज्जे और दीवारें गिरने की कगार पर हैं। कई स्कूलों की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें हैं, तो कहीं खिड़कियों में दरवाजे तक नहीं हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति शौचालयों की है, जो जर्जर होने के कारण विशेषकर छात्राओं के लिए बड़ी परेशानी का सबब बने हुए हैं।बस्तर में बच्चों के भविष्य पर खतरा
आंकड़ों में चौंकाने वाली तस्वीर
लोक शिक्षण संचालनालय, बस्तर संभाग के आधिकारिक आंकड़े खुद इस गंभीर स्थिति की पुष्टि करते हैं। संभाग के 1542 स्कूल भवनों को मरम्मत की तत्काल आवश्यकता है।
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बस्तर जिला: सर्वाधिक 546 स्कूल जर्जर (394 प्राथमिक, 141 माध्यमिक, 11 हाई/हायर सेकेंडरी)
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कांकेर जिला: 378 स्कूल
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कोंडागांव जिला: 303 स्कूल
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बीजापुर जिला: 117 स्कूल
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सुकमा जिला: 124 स्कूल
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दंतेवाड़ा जिला: 51 स्कूल
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नारायणपुर जिला: 22 स्कूल
ये आंकड़े दिखाते हैं कि हजारों बच्चों को अपना भविष्य खतरनाक और असुरक्षित इमारतों में बनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
दावों और हकीकत में बड़ा अंतर
पिछली सरकार द्वारा चलाई गई ‘स्कूल जतन योजना’ के तहत लाखों रुपये खर्च कर कई स्कूलों की मरम्मत का दावा किया गया था। हालांकि, आज भी 1542 स्कूल ऐसे हैं, जहां मरम्मत का काम या तो शुरू ही नहीं हुआ या फिर अधूरा पड़ा है। जिला शिक्षा अधिकारियों का दावा है कि सुधार कार्य जारी है, लेकिन ग्राउंड जीरो पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। 15 जून से सत्र शुरू होने वाला है और इतने कम समय में इन भवनों को सुरक्षित बनाना एक बड़ी चुनौती है।बस्तर में बच्चों के भविष्य पर खतरा
विभाग का दावा: होगी वैकल्पिक व्यवस्था
इस गंभीर मुद्दे पर बस्तर के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) बी.आर. बघेल ने कहा है कि किसी भी बच्चे को जर्जर भवन में नहीं बैठाया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि, “जिन स्कूलों के भवन अत्यधिक जर्जर हैं, उनके लिए पिछले साल ही वैकल्पिक व्यवस्था कर दी गई थी। इस नए सत्र में भी कक्षाओं का संचालन सुरक्षित स्थानों पर या अतिरिक्त भवनों में किया जाएगा। ‘स्कूल जतन योजना’ के अधिकांश कार्य पूरे हो चुके हैं।”बस्तर में बच्चों के भविष्य पर खतरा
हालांकि, विभाग के दावों के बीच अभिभावकों और बच्चों की चिंताएं बनी हुई हैं कि क्या ये वैकल्पिक व्यवस्थाएं समय पर और प्रभावी ढंग से लागू हो पाएंगी।बस्तर में बच्चों के भविष्य पर खतरा