ड्राइवर नहीं तो ट्रेन नहीं! रेलवे का अजब तर्क, राजहरा में ट्रेन रद्द होने पर फूटा यात्रियों का गुस्सा

दल्ली राजहरा/भिलाई: “ड्राइवर नहीं तो ट्रेन नहीं!” रेलवे का अजब तर्क, छत्तीसगढ़ के दल्ली राजहरा रेलवे स्टेशन पर रविवार की शाम रेलवे की घोर लापरवाही ने त्योहारी सीजन में सफर कर रहे सैकड़ों यात्रियों को भारी मुसीबत में डाल दिया। इंजन में खराबी के बाद रेलवे एक वैकल्पिक ट्रेन के लिए “क्रू मेंबर” (ड्राइवर और गार्ड) का इंतजाम नहीं कर सका, जिसके चलते 2 घंटे के भारी हंगामे के बाद आखिरकार ट्रेन को रद्द करना पड़ा।
क्या थी पूरी घटना?
रविवार शाम 6:55 पर राजहरा से दुर्ग जाने वाली डेमू लोकल ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी थी। ट्रेन शाम 7:19 पर सिग्नल मिलने के बाद कुछ कदम चली और रुक गई। बार-बार ऐसा होने पर जब परेशान यात्री इंजन के पास पहुंचे, तो पता चला कि इंजन के एक्सेल का तापमान खतरनाक रूप से 104 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जबकि इसकी सुरक्षित सीमा 84 डिग्री है। मैकेनिक ने इतने तापमान में ट्रेन चलाने से साफ इंकार कर दिया। “ड्राइवर नहीं तो ट्रेन नहीं!” रेलवे का अजब तर्क
रेलवे की अजब-गजब व्यवस्था: ट्रेन है पर ड्राइवर नहीं!
यात्रियों का गुस्सा तब और भड़क गया जब उन्होंने देखा कि बगल की पटरी पर एक बिल्कुल नई इलेक्ट्रिक मेमू ट्रेन खड़ी है। सीटू नेता जेपी त्रिपाठी समेत कई यात्रियों ने स्टेशन मास्टर से उस ट्रेन को चलाने की मांग की। इस पर स्टेशन मास्टर ने जो जवाब दिया, वह रेलवे की लचर व्यवस्था की पोल खोलता है। उन्होंने बताया कि डीजल इंजन (डेमू) चलाने वाला ड्राइवर इलेक्ट्रिक इंजन (मेमू) नहीं चला सकता, और उस समय स्टेशन पर मेमू चलाने के लिए कोई क्रू मेंबर उपलब्ध नहीं था। “ड्राइवर नहीं तो ट्रेन नहीं!” रेलवे का अजब तर्क
अधिकारियों ने आधे घंटे में क्रू मेंबर की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया, लेकिन 45 मिनट बाद घोषणा कर दी गई कि क्रू मेंबर नहीं मिल पाया है, इसलिए ट्रेन रद्द की जाती है। “ड्राइवर नहीं तो ट्रेन नहीं!” रेलवे का अजब तर्क
दो घंटे का इंतजार और सब्र का टूटा बांध
दो घंटे तक यात्री और स्टेशन कर्मचारी ऊपर के अधिकारियों के निर्णय का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं आया। इस बीच यात्रियों का सब्र जवाब दे गया। किसी को भिलाई स्टील प्लांट में नाइट शिफ्ट पकड़नी थी, तो किसी को आगे की यात्रा के लिए दूसरी ट्रेन लेनी थी। नाराज यात्रियों ने स्टेशन मास्टर के कमरे के बाहर हंगामा शुरू कर दिया और ट्रेन की स्थिति स्पष्ट करने व टिकट का पैसा वापस करने के लिए दबाव बनाया। ट्रेन रद्द होने की घोषणा के बाद टिकट काउंटर पर पैसा वापस लेने वालों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। “ड्राइवर नहीं तो ट्रेन नहीं!” रेलवे का अजब तर्क
अगले दिन भी जारी रही लापरवाही
यह लापरवाही सिर्फ रविवार तक ही सीमित नहीं रही। सोमवार सुबह भी अंतागढ़ से आने वाली ट्रेन को प्राथमिकता देने के लिए राजहरा से समय पर छूट सकने वाली दुर्ग लोकल को जानबूझकर 50 मिनट की देरी से रवाना किया गया, जिससे यात्रियों को फिर से परेशानी का सामना करना पड़ा। यह घटनाएं दुर्ग-राजहरा रूट पर रेलवे प्रबंधन की गंभीर खामियों को उजागर करती हैं। “ड्राइवर नहीं तो ट्रेन नहीं!” रेलवे का अजब तर्क









